✍️परवेज़ अख्तर/सिवान:
गोरेयाकोठी प्रखंड के लद्दी दक्षिण टोला स्थित मस्जिद के खतिबों इमाम मौलाना आलिम रज़ा बरकाती ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि रमजान के महीने में हीं कुरान शरीफ़ नाजिल हुआ।कुरान शरीफ़ इस्लाम की सर्वोच्च किताब है,जो अल्लाह के संदेशों का इसमें संकलन है।मसलकों,फिरकों और दूसरी तरह के मतभेदों के बावजूद तमाम मुसलमानों का यह अकीदा है कि कुरान शरीफ़ एक आसमानी और अल्लाह के द्वारा भेजी गई अंतिम किताब है। इसे अल्लाह ने अपने फरिश्ते (देवदूत) जिब्राइल के जरिए पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब तक पहुंचाया।मुसलमानों का अकीदा है कि कुरान शरीफ़ में न तो अतिरिक्त एक शब्द जोड़ा जा सकता है और न ही हटाया जा सकता है।रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं।
अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है।उन्होंने कहा कि अल्लाह रब्बुल आलमीन कुरान-ए-करीम में इरशाद फरमाता है कि ए ईमान वालों,तुम पर रोज़ा फ़र्ज़ किया गया,जैसा उन पर फ़र्ज़ हुआ था,जो तुमसे पहले हुए।ताकि तुम गुनाहों से बचो।उन्होंने का की अल्लाह ताला को तीन चीज़े सबसे ज्यादा पसंद है। जवानी की नमाज़,सख्त गर्मी के रोज़े और सर्दी का वजू लेकिन आज हम गर्मी के रोज़ों से डरते है के हमें कमजोरी आ जाएगी या बीमार हो जाएंगे या फिर हमारी सेहत खराब हो जाएगी।हम कितने बुज़दिल हैं,अल्लाह की इबादत से डरते है।जबकि ये महीना तो अल्लाह ने हमें आग से बचाने और अपनी रहमतें अपने बंदों पर बरसाने के लिए बनाया है।