पटना: चारा घोटाला उजागर करने वाले IAS अमित खरे को पीएम मोदी ने बड़ी जिम्मेवारी दी है. अमित खरे को प्रधानमंत्री मोदी का सलाहकार बनाया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने इन्हें 2 साल के अनुबंध पर इन्हें नियुक्त किया है।
अमित खरे ने चाईबासा उपायुक्त के पद पर रहते हुए उन्होंने चारा घोटाला में पहली FIR दर्ज कराई थी। इसके बाद कई हाईप्रोफाइल नेता और अधिकारी जेल गए और उन्हें सजा मिली। बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद को भी सजा हुई. इस वजह से उन्हें कुछ दिनों तक तत्कालीन शासन का कोपभाजन भी बनना पड़ा था। इनकी पत्नी निधि खरे फिलहाल केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अपर सचिव के पद पर तैनात हैं।
IAS अमित खरे इसी साल 30 सितंबर को रिटायर कर चुके हैं. वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1985 बैच के बिहार/झारखंड कैडर के अधिकारी थे. 36 साल के शानदार करियर के दौरान उन्होंने भारत सरकार, झारखंड और बिहार सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया. उनके नेतृत्व में करीब 34 सालों के बाद भारत में नई शिक्षा नीति 2020 लागू किया गया. विशेषज्ञों ने इस नीति को भारत को विश्वगुरु बनाने का मास्टर प्लान बताया है।
अमित खरे को एक अत्यधिक सक्षम और साफ अधिकारी की छवि वाला बताया जाता है. उन्होंने न केवल पीएम मोदी के निर्देशन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का दिशा दी, बल्कि डिजिटल मीडिया नियमों के संबंध में सूचना व प्रसारण मंत्रालय में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पूर्व कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा और पूर्व सचिव अमरजीत सिन्हा के इस साल सलाहकार के रूप में पीएमओ छोड़ने के बाद वह प्रधानमंत्री कार्यालय में शामिल हुए हैं.
अपने कार्यकाल में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई क्रांतिकारी बदलाव किए. आइआइटी, आइआइएम जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने पर जोर दिया. तकनीकी संस्थानों में इनोवेशन को बढ़ावा दिया. इसका फायदा देश की जनता को कोविड काल में देखने को मिला. अमित खरे अगस्त 2021 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव के अतिरिक्त प्रभार में भी रहे. अपने कार्यकाल में डीडी झारखंड सहित एक दर्जन सैटेलाइट चैनल लांच किया।
वहीं दूरदर्शन और आकाशवाणी को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. इनकी आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने की योजना को अमली जामा पहनाया. वहीं डिजिटल मीडिया पॉलिसी सहित प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मजबूती के लिए कई कदम उठाए. ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर पॉलिसी को अंतिम रूप दिया. अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश की और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के भाषणों का संकलन सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन कराया।