आंदर: कृष्ण-सुदामा का प्रसंग के साथ भागवत कथा का हुआ समापन

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परवेज अख्तर/सिवान: जिले के आंदर प्रखंड के असांव गांव स्थित द्विवेदी कांप्लेक्स परिसर में चल रहे भागवत कथा के अंतिम दिन शनिवार की शाम कथावाचक पं. श्यामसुंदर गोस्वामी ने भगवान कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना, सुभाद्रा हरण का आख्यान कहना के अलावा सुदामा चरित्र का वर्णन किया। कथावाचक ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान कृष्ण व सुदामा से समझा जा सकता है। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचते हैं। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे, लेकिन द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इसपर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।

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अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से भगवान कृष्ण सुदामा का नाम सुना सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया- कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। पं. गोस्वामी ने बताया कि जब भी भक्तों पर विपदा आई है प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कृष्ण-सुदामा प्रसंग के साथ भागवत कथा का समापन किया गया। अंत में भगवान की आरती की गई और प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर जयकर से पूरा वातावरण गूंज उठा।