परवेज अख्तर/सिवान : विभिन्न नौ सूत्री मांगों के समर्थन में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन के तत्वाधान में सोमवार को आशा कार्यकर्ताओं ने सदर अस्पताल परिसर में एकदिवसीय धरना दिया। इस दौरान उन्होंने सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपा। एकदिवसीय धरना का नेतृत्व एपवा की जिलाध्यक्ष मालती राम व सचिव सोहिला गुप्ता ने संयुक्त रुप से किया। अपने संबोधन में सोहिला गुप्ता ने बताया कि राज्य के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के सम्मानपूर्वक वार्ता होने के बाद हड़ताल केो 38 दिन के बाद वापस लिया गया था। वार्ता में ठोस रूप से अन्य मांगों के अलावा यह तय किया गया था कि आशा को राज्य कर्मी का दर्जा देते हुए 1000 रुपये मासिक मानदेय देने व कार्यावधि 60 साल तकम करने के निर्णय पर सहमति भी बनी थी, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय द्वारा मानदेय की राशि को पारितोषिक घोषणा कर भद्दा मजाक किया गया है।
धरना के बाद मांग पत्र सौंपा गया, उनमें आशा कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करने, 21 हजार रुपये मानदेय लागू करने, भुगतान में कमीशनखोरी पर रोक लगाने, न्यूनतम मजदूरी कानून लागू करने, पीएचसी में आशा भवन का निर्माण करने, उनको स्मार्टफोन देने, कोविड 19 कार्य में लगे आशा कर्मियों की मजदूरी का भुगतान करने, आशा सहित सभी स्कीम वर्करों को सरकारी सेवक का दर्जा देते हुए न्यूनतम 21 हजार वेतन लागू करने तथा लेखपाल के जरिए आशा कर्मियों का शोषण बंद कराना आदि मांगे शामिल हैं। माैके पर सुनीता देवी, कुसुम देवी, कृष्णावती देवी सहित अन्य आशा कार्यकर्ता मौजूद थीं।