- सुपोषित महिला होती है स्वस्थ शिशु की जननी
- गर्भकाल की प्रथम तिमाही की प्रसव पूर्व जांच में होगा गोलियों का वितरण
- एएनएम एवं आशा कार्यकर्ता करेंगी फॉलोअप
परवेज अख्तर/सिवान: एक स्वस्थ सुपोषित महिला एक स्वस्थ शिशु की जननी होती है। स्वास्थ्य विभाग एवं राज्य सरकार एनीमिया पर लगाम लगाने के लिए लगातार प्रयासरत है। नियमित अंतराल पर एनीमिया मुक्त कार्यक्रम के तहत कई अभियान चलाये जाते हैं। प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के लिए गर्भवती महिलाओं में एनीमिया एक प्रमुख कारण माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को रक्तअल्पता से बचाने के लिए अब उन्हें अपने गर्भकाल की प्रथम तिमाही में एक मुश्त आयरन एवं कैल्सियम की गोली दी जायेगी। गोलियों का वितरण प्रथम तिमाही के दौरान प्रसव पूर्व जांच के समय होगा । कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति ने पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं । जारी पत्र में बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं को प्रथम तिमाही में प्रसव पूर्व जांच के दौरान 90 आयरन फोलिक एसिड की गोली एवं द्वितीय तिमाही के दौरान 180 आयरन, फोलिक एसिड की गोली एवं 360 कैल्सियम की गोली एक मुश्त वितरित की जायेगी। जारी पत्र में निर्देशित है कि धात्री माताओं को 180 आयरन फोलिक एसिड की गोली एवं 360 कैल्सियम की गोली एक मुश्त देना अनिवार्य होगा। वितरित किये गए गोलियों का विवरण एम. सी. पी. कार्ड में भरवाने की जिम्मेदारी अधीनस्थ अधिकारियों की होगी।
घरेलु खाद्य पदार्थों से करें एनीमिया पर प्रहार:
सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार पाण्डेय ने बताया आम तौर पर घर में पाए जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियां, चना, मड़ुआ का आटा , सोयाबीन आदि जैसे ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन किसी भी गर्भवती महिला को एनीमिया से सुरक्षित रख सकता है। इसके अलावा आयरन एवं कैल्सियम की गोलियों का सेवन गर्भवती महिला एवं उसके गर्भस्थ शिशु को एनीमिया से सुरक्षा प्रदान करता है।
एनीमिया से बचाव के लिए लोगो को जागरूक होना होगा:
एनीमिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। अनियमित खानपान औैर आहार में बढ़ते फास्टफूड के कारण लोगों को एनीमिया यानी खून की कमी प्रभावित कर रहा है। बदलती जीवन शैली से शरीर में आयरन और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो रही है। जिसके कारण लोग एनीमिया से ग्रसित हो रहे हैं। बच्चों, गर्भवती महिलाओं के साथ किशोर- किशोरियों में भी एनीमिया के लक्षण दिख रहे हैं। इससे बचाव के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। आहार में बदलाव ही इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे सरल उपाय है। यह बीमारी खून में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं यानि हीमोग्लोबिन कम होने से होता है। इसके लक्षण दिखते ही तुरंत अस्पताल जाकर डॉक्टर की सलाह लें।
जिले की 58 फीसदी गर्भवती महिलायें हैं एनीमिया से ग्रसित:
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 वर्ष 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार जिले की 58 फीसदी गर्भवती महिला एनीमिया से ग्रसित हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 में यह आंकड़ा 67 फीसदी था जो जिले की चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है। वहीं 15 से 49 वर्ष की कुल 53.1 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया के शिकार हैं ।