पटना: राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा है कि बिहार में एनडीए को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। अब पूर्व आइएएस दया प्रकाश सिन्हा और सम्राट अशोक की आड़ में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नेताओं के बीच चल रही बयानबाजी बंद होनी चाहिए। इस दौरान बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एनडीए नेताओं को नसीहत भी दी है।
उन्होंने कहा है कि सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। बकौल सुशील मोदी, 86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा का वर्ष 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं। अहम यह है कि सिन्हा के एक साक्षात्कार को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई। अब सिन्हा ने नए साक्षात्कार में सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।
सुशील मोदी ने कहा कि दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया। यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है। उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं। राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा सम्राट अशोक का सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था।
सुशील मोदी ने कहा कि भाजपा ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते। अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मान्तरण की एक भी घटना नहीं हुई। वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है।