परवेज अख्तर/सिवान: 10 अक्टूबर को बड़हरिया नगर पंचायत चुनाव स्थगित होते ही प्रत्याशियों में छा गई मायूस,वही मुख्य पार्षद पद के लिये 9, उप मुख्य पार्षद पद के 12 और वार्ड पार्षद के 90 प्रत्यासियो ने चुनावी जंग में उतरकर चुनाव को रोचक ही बना दिया था। नगर पंचायत क्षेत्र की जनता चुनावी बयार से तरबोर हो चुकी थी। इसी बीच हाई कोर्ट के आदेश आते ही अति पिछड़ा व पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव स्थगित करना पड़ा। चूनाव स्थागित होने से प्रत्यासिओं में काफी नाराजगी महसुस की गई। अधिकांस प्रत्यासिओं के प्रचार वाहन 25 सितंबर को चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद नगर पंचायत के मीर सुरहिया से लेकर पचरुखीया टोला तक दिन में कई बार भ्रमण करते नजर आ रहे थे। मुख्य पार्षद पद के प्रत्यासिओं ने तो अपनी तमाम ताकतें झोंक रखी थी। उप मुख्य पार्षद पद के प्रत्यासी भी डोर टू डोर जाकर वोट मांगने में मसगूल थे।
इसी बीच चुनाव स्थगित करने के सूचना मिलते ही उनकी तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया । बताया जाता है कि चार अक्टूबर की दोपहर को हाई कोर्ट से चुनाव स्थगन के आदेश आने के बाद प्रत्यासिओं सहित जनता को इस बात का विश्वास नहीं हुआ। चार अक्टूबर को बीडीओ, बीपीआरओ, जेएसएस के मोबाइल पर दोपहर से रात तक घण्टियाँ बजती रही और प्रत्यासी चुनाव स्थगन के मसले पर तरह तरह के सवाल पूछते रहे। फिर समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद लोगों को विश्वास नहीं हुआ। यहां तक कि चुनाव स्थगित होने के चर्चाओं के बीच भी कई प्रत्यासिओं की प्रचार की गाड़ियां बड़हरिया बाजार सहित क्षेत्र में घूमती नजर आई। अब चुनाव स्थगित होने से पत्यासियों के चेहरे पर मायूसी देखी जा रही है। क्योंकि अधिकांश प्रत्यासिओं ने प्रचार में अच्छा खसा पैसे खर्च भी कर दिया था। उन्हें मलाल है कि फिर से तमाम चुनावी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा। प्रत्यासिओं के संख्या घटने और बढ़ने पर चुनाव चिन्ह बदलने का खतरा है। और पंपलेट, पोस्टर आदि बदलने पड़ेंगे। इस यहां पोह के स्थिति में प्रत्यासी मायूस नजर आने लगे हैं।