परवेज अख्तर/सिवान: बड़हरिया जब इरादे नेक व हौसले बुलंद हों तो मुसीबतें खुद-ब-खुद राह छोड़ देती हैं.जिंदगी की गाड़ी पटरी आ जाती हैं. कुछ वैसी ही कहानी है प्रखंड के कोइरीगांवा कि जीविका दीदी निर्मला दीदी की.एक वक्त था जब बच्चे रोटियों के लिए तरसते थे, लेकिन आज निर्मला देवी उपलब्धियों की नई लकीर खींच रही हैं. बड़हरिया प्रखंड की कोइरीगांवा पंचायत के कोइरीगांवा के रहने वाली निर्मला दीदी अपने परिवार के साथ गरीबी के दलदल में इस कदर दब गयी थीं कि इन्हें जीवन मे दूर-दूर तक अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था. पति की मौत के बाद जिंदगी और बोझ बन गयी. सवाल तीन बेटियों की परवरिश का था.
किसी तरह जिंदगी गुजर रही थी. लेकिन आज उनकी स्थिति बदल चुकी है. जीविका के बीपीएम प्रीतम कुमार ने बताया कि जब उन्हें निर्मला देवी की दयनीय आर्थिक हालत का पता चला तो उनकी खुद की बेचैनी बढ़ गयी.उन्होंने निर्मला देवी को बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत अत्यंत गरीब दीदी का चयन योजना से जोड़ा.फिर उनको चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण देकर छोटे से रोजगार से जोड़ा गया. जिससे मुफलिसी दूर हो चुकी है. आज निर्मला दीदी अपने रोजगार से नई कीर्तिमान स्थापित कर बच्चों को विद्यालय भी भेजने लगी.दूसरों के आगे हाथ परासने वाले हाथ आज पैसे बांट रहे हैं.जिंदगी करवट ले चुकी है. वह दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर रही हैं