परवेज अख्तर/सिवान: भगवानपुर हाट मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डा. अनुराधा रंजन कुमारी ने किसानों को धान की खेती के प्रति उदास नहीं होने बल्कि उत्साह पूर्वक धान की बोआई करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि जिले में पर्याप्त मात्रा में वर्षा हुई है। इससे खेतों में नमी हो गई है। किसान धान की बिचड़ा गिराना शुरू कर दिए हैं। निचली एवं मध्यम भूमि में धान की रोपनी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि धान रोपनी के समय उर्वरक का प्रयोग 30 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फूर तथा 30 किलोग्राम पोटाश के साथ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्राम चिल्ली टेड जिंक प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए। जिनका धान का बिचड़ा का नर्सरी तैयार है वे खेतों में मेड़ बंदी कर पानी को रोकें एवं रोपनी शुरू।
जो किसान बिचड़ा नहीं गिराए हैं वे राजेंद्र नीलम, राजेंद्र भगवती, धनलक्ष्मी प्रभात, राजेंद्र सरस्वती, नरेंद्र-97 बिचड़ा गिराएं। एक हेक्टेयर के लिए 800 से 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बीज की नर्सरी गिराने से पहले धान को दो ग्राम बाविस्टिन से उपचारित कर बिचड़ा गिराएं। उन्होंने कहा कि ऊंची जमीन पर धान की बोआई नहीं करके अरहर की खेती रेंज बेड प्लांटर से मेड़ पर लगाएं। सोयाबीन एवं मक्का की खेती कर किसान अच्छी उपज ले सकते हैं। अरहर की खेती के लिए एक हेक्टेयर के लिए 18 से 20 किलोग्राम बीज लेना है। बोआई के समय 20 किलोग्राम नत्रजन 40 किग्रा स्फुर 20 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम सल्फर का उपयोग करनी चाहिए। अरहर की प्रजाति राजेंद्र अरहर-एक, राजेंद्र अरहर-दो, नरेंद्र अरहर-एक, मालवीय 13, पूसा नौ, बहार अनुशंसित प्रभेद हैं। अरहर की बीज की बोआई के 24 घंटा पूर्व ढाई ग्राम थिरम नामक दवा से प्रति किग्रा बीज को उपचारित करने व बोआइ से पहले रायजोबियम कल्चर से उपचारित करें जिससे बीमारियों का रोकथाम होगा। डा. अनुराधा रंजन ने कहा कि मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान मोटा अनाज जैसे मडुआ, सावा, कोदो, कंगनी व खरीफ मक्का की बोआई करें।