परवेज अख्तर/सिवान: जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय संसाधनों की कमी जूझते हुए अपनी जिम्मेवारी निभाने के लिए प्रयासरत है। चिकित्सक के अलावा दो स्वास्थ्य कर्मी इस अस्पताल में पदस्थापित हैं। जब कभी चिकित्सक तथा कंपाउंडर क्षेत्र में होते हैं तो उस स्थिति में अस्पताल में उपचार हेतु लाए गए पशुओं का इलाज करने वाला कोई नहीं मिलता। 20 पंचायतों वाला इस प्रखंड में 113 गांव है। यह अस्पताल जिस स्थल पर अवस्थित है इसके चारों तरफ जल जमाव है। इसके चिकित्सक व कर्मी को कौन कहे बीमार मवेशियों को लेकर आने वाले पशुपालकों को भी अस्पताल तक पहुंचने में जान जोखिम में डालना पड़ता है। वैसे तो यह अस्पताल प्रथम वर्गीय अस्पताल के रूप में शुमार है, लेकिन इस अस्पताल में संसाधनों की काफी कमी है।
इस अस्पताल में चिकित्सक डा. अनुभव आनंद, कंपाउंडर मुन्ना कुमार ओझा तथा डाटा आपरेटर नवनीत कुमार पांडेय पदस्थापित हैं, चूंकि चिकित्सक डा. अनुभव आनंद भ्रमणशील चिकित्सक हैं। इसलिए जब कभी वह क्षेत्र में होते हैं उस समय कोई मवेशी उपचार हेतु अस्पताल पहुंच जाता है तो भारी समस्या उत्पन्न हो जाती। चिकित्सक डा. आनंद ने बताया कि क्षेत्र में करीब 28 हजार मवेशी हैं। मौसमी बीमारी पर टीकाकरण के बल पर हद तक विराम लगाया जा सका है। उन्होंने कहा कि एफएमडी, एचएस एंड बीक्यू, बांझपन में भी काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि दवा की उपलब्धता जिला स्तर से तय एवं आपूर्ति की जाती है। उपलब्ध दवा के बावजूद किसी दूसरी दवा की जरूरत होती है तो पशुपालकों को बाजार से खरीदना पड़ता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में रात्रि प्रहरी तथा आदेशपाल का पद रिक्त है। अस्पताल का पुराना भवन पर बांसफोर जाति के परिवार रैन बसेरा बना हुआ है।