परवेज अख्तर/सिवान: भगवानपुर हाट जब द्वापर में कंस का अत्याचार बढ़ा तो भगवान कृष्ण ने जन्म लिया। कृष्ण का कारा में जन्म लेते ही संकट के सभी बादल छंट गए थे। भगवान का जन्म लेते ही तीनों लोकों में जय जय होने लगा था। यह बात मैरी सलेमपुर स्थित ठाकुरबाड़ी परिसर में आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन गुरुवार की रात कथावाचक आचार्य अमित महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि सत्य सबसे बड़ा बल है। सत्य के बल पर पांडवों ने कौरव सेना को परास्त किया था। हीं भगवान कृष्ण सत्य के मार्ग पर चलने वाले अर्जुन का सारथी बनने को तैयार हो गए थे।
उन्होंने कहा कि भागवत कथा ज्ञान एवं धर्म के रास्ते पर चलने की सिख देता है। आचार्य ने मोर मुकुटधारी कृष्ण बाल स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण बाल काल से ही दानवों को मारकर पृथ्वी का उद्धार किया। उन्होंने माता यशोदा को बाल काल में ही अपना विराट रूप का दर्शन कराया था। कथा वाचक ने कहा कि भगवान कृष्ण ने मानव रूप में भाई, सखा, पुत्र, शिष्य, राजा, सारथी का जिस प्रकार से कर्तव्य निभाया, वह मानव जाति को एक पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन का दर्शन करता है। इस मौके पर काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।