परवेज अख्तर/सिवान: भगवानपुर हाट राम जानकी पथ परियोजना के तहत निर्माण होने वाली पथ के लिए प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों के रैयत अधिग्रहित भूमि का मुआवजा लेने के लिए आवेदन देने में उदासीन दिख रहे हैं। रैयतों द्वारा अपनी अधिग्रहित भूमि का मुआवजा के लिए अंचल अथवा भू अर्जन कार्यालय में आवेदन भी कम संख्या में दिए हैं जिसको प्रशासन द्वारा कई बार रैयतों से संपर्क कर आवेदन देने की सलाह दिया गया है। सीओ रणधीर कुमार ने बताया कि रैयतों का कहना है कि उनकी भूमि का सरकार द्वारा उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रैयतों का कहना है कि अधिग्रहित भूमि का मुआवजा भूमि के नेचर के आधार पर होना चाहिए, लेकिन सरकार सभी भूमि का एक ही तरह का मूल्य निर्धारित कर रखा है।
उन्होंने बताया कि आवेदन नहीं देने का कारण रैयत यह बताते हैं कि जिस जमीन से होकर सड़क गुजरेगी सरकार द्वार अधिग्रहित भूमि पर पहले मार्किंग करें ताकि स्पष्ट हो सके कि अधिग्रहित भूमि पर सड़क बन रहा है या नहीं। उन्होंने एलपीसी का भी मामला बताया। सीओ ने बताया कि कौड़िया, दक्षिण साघर सुल्तानपुर, उतरी साघर सुल्तानपुर, बिलासपुर पंचायत के करीब 541 खेसरा के करीब 650 से अधिक रैयतों का आवेदन अब तक नहीं आया है। उन्होंने बताया कि मात्र छह रैयतों ने आवेदन दिया था, जिसका भुगतान हो गया। कौड़ियां पंचायत के मुखिया पति मूरत मांझी के अलावा योगेंद्र सिंह, मघरी के कौशल किशोर सिंह, साघर सुल्तानपुर टोले माघर के विशंभर पांडेय, माघर के भृगुनाथ दुबे आदि रैयतों की शिकायत है कि सरकार भूमि का सही मूल्य तय करे तथा अधिग्रहित भूमि को निर्माण से पूर्व चिह्नित करे।