परवेज अख्तर/सिवान: जिले के भगवानपुर हाट मौसम के बिगड़े मिजाज को देख किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। जून का प्रथम सप्ताह समाप्त हो रहा है। किसान खेतों में उड़ रहे धूल को देख परेशान हैं। इस बार मानसून कब आएगा इसकी बात सोच-सोच किसानों की दशा खराब हो रही है। प्री मानसून भी अपनी झलक तक नहीं दिखा सकी। परिणाम स्वरूप किसान अभी तक धान का नर्सरी तैयार तक नहीं कर सके हैं। इस स्थिति में कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को राह दिखाने के लिए आगे आने का काम कर रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र की अध्यक्ष सह वरीय वैज्ञानिक डा. अनुराधा रंजन कुमारी ने बताया कि किसानों को परंपरागत खेती से दूरी बनाने की जरूरत है। मौसम के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने से किसान लाभ में रहेंगे।
उन्होंने कहा कि धान की खेती छोड़ किसान मोटे अनाज की खेती करें। इसे सरकार भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि वर्षा नहीं होने के कारण जमीन में धूल उड़ रहे हैं। पानी की कमी से धान की फसल को नुकसान होगा, लेकिन कम पानी होने पर भी मोटे अनाज जैसे मरुआ, ज्वार बाजरा, रागी, कुटकी, कोदो, सांवा, अरहर, मक्का आदि फसल उपजाया जा सकता है। मोटे अनाज का बाजार में काफी मांग है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मोटे अनाज के भोजन देश-विदेश की मांग हो गई है। उन्होंने कहा कि वैसे किसान धान की खेती के लिए चिंतित नहीं हो। मध्यम तथा कम अवधि की धान के नर्सरी तैयार रखें। जैसे ही पानी की व्यवस्था हो जाती है नर्सरी में बीज डाल दें।