परवेज अख्तर/सिवान: जिले में शुक्रवार की सुबह से आसमान में मंडरा रहे काले बादलों को देख कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को अलर्ट करने में जुटे हुए है। मौसम के बिगड़ते मिजाज को देख किसानों में फसल को ले चिंता व्याप्त हो गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डा. अनुराधा रंजन कुमारी व फसल उत्पादन विशेषज्ञ डा. हर्षा बीआर ने संयुक्त रूप से बताया कि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम पर आधारित सूचना के अनुसार 17 से 21 मार्च तक अधिकांश स्थानों पर गरज के साथ हल्के व मध्यम स्तर पर वर्षा होने की संभावना है। साथ ही ओलावृष्टि के भी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को काफी मात्रा में फसलों की क्षति होने की संभावना बढ़ जाती है। मौसम विभाग के अनुसार वर्षा होना तय है। अगर वर्षा होती है तो गेहूं, अरहर, तीसी, सूर्यमुखी आदि के पौधे गिर जाएंगे जिससे फसलों को काफी क्षति होगी।
वैज्ञानिक फसल उत्पादन डा. हर्षा बीआर ने कहा कि किसानों को कटाई की गई सरसों, आलू, मटर आदि फसल को वर्षा से भीगने से बचाने की जरूरत है। उन्होंने आम एवं लीची के बारे में बताया कि अगर तेज वर्षा हवा के साथ होती है तो आम एवं लीची के फसलों को भारी नुकसान होगा। आम एवं लीची में लगे मंजर झड़ जाएंगे जिससे फल लगने की संभावना कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर तेज वर्षा के साथ अगर हवा चलती है तथा ओलावृष्टि होती है तो 60 प्रतिशत से अधिक सभी प्रकार के फसलों को क्षति पहुंचेगी। अधिक बारिश होने से आम एवं लीची के मंजर गिला हो जाएंगे जिससे झुलसा रोग पकड़ सकता है। इससे बचाव के लिए उन्होंने हेक्जाकोणोजल नामक दवा का छिड़काव प्रति लीटर पानी में दो मिली लीटर मिलाकर करने की सलाह दी। उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि चल रही मौसम बदलाव में अपने मवेशियों सहित अपने को खुले आसमान में नहीं रखें।