परवेज अख्तर/सिवान: एक महीने से अधिक से तेज गर्मी के कारण धरती का कंठ सूख गया था। खेतों में दरार पड़ गए थे। किसानों में पानी के लिए हाहाकार मचा था। प्यास बुझाने के लिए जंगली जानवर भी काफी परेशान थे। कुल मिलाकर जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया था, लेकिन गुरुवार की रात से शुरू हुई मानसून की पहली झमाझम वर्षा से धरती की प्यास बुझी और खेत पानी से लबालब भर गए। किसान खेतों की ओर चल पड़े हैं। वैसे कुछ किसानों द्वारा पंप सेट पानी चलाकर धान का बिचड़ा नर्सरी में गिराया गया था, लेकिन अधिकांश किसान वर्षा इंतजार कर रहे थे। वैसे किसानों के लिए मानसून का यह पहली वर्षा खुशियां लेकर आई है। अभी धान का बिचड़ा छोटे-छोटे होने के कारण एवं खेतों में अधिक जल जमाव होने से किसान रोपनी करने वंचित हो रहे हैं।
कृषक कामेश्वर सिंह ने बताया कि गुरुवार को अपने खेत में केवाला तो करा दिया, लेकिन गुरुवार की रात से शुरू हुई मूसलाधार वर्षा से खेत में अधिक जल जमाव होने के कारण रोपनी को रोकना पड़ा है। किसानों का मानना है कि इस वर्षा पर मक्का, अरहर, सोयाबीन आदि की खेती शुरू हो जाएगी। परवल के फसल के लिए भी यह वर्षा अच्छा साबित हुई है। इसके अलावा गर्मी से झुलस रहे अन्य साग-सब्जियों को भी राहत मिली है। कृषि वैज्ञानिक डा. अनुराधा रंजन कुमारी ने कहा कि किसान जल जमाव वाले खेतों में ड्रम सीडर मशीन से धान की बोआई करें तथा ऊपरी तल वाले भूमि में जीरो टिलेज मशीन से धान की सीधी बोआई करें। उन्होंने ऊपरी तल वाले भूमि जिसमें पानी नहीं लगने की संभावना हो वैसे भूमि पर मक्का, अरहर तथा सोयाबीन की खेती करने की सलाह दी। वे मक्का एवं अरहर की खेती अंतरवर्ती विधि से करने की सलाह दी है।