परवेज अख्तर/सिवान: भगवानपुर हाट रमजान का तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात दिलाता है। यह बात हाफिज शकील अहमद ने कही। उन्होंने रमजान की फजीलत बयान करते हुए कहा कि रमजानुल मुबारक का महीना रहमते और बरकते लेकर आता है। हम गफलत में परे रहे, अल्लाह की रहमत बरसती रही हम सोते रहे, अल्लाह ताला मलाइका पर तफाखुर फरमाता रहा कि मेरे बंदे रात भर जागते हैं और इबादत में मशगूल रहते हैं। शबे कद्र की तलाश में इनकी कोशिश का क्या हाल होगा, आओ अभी वक्त हैं, अपने खालिक व मालिक को राजी करें।
उन्होंने कहा कि रमजान के आखिरी अशरे में अपने आपको अल्लाह के हुजूर में डाल दें, यानी एतकाफ करें और कहे अल्लाह जब तक तु राजी नहीं हो जाता तेरे दर से नहीं जाऊंगा । इसी अशरे में शबे कद्र को तलाश करें। अल्लाह के रसूल सललाहो अलैहे वस्सलम ने इरशाद फरमाया कि आखिरी अशरे कि रातों में जो शखश ईमान के साथ सवाब की नियत से इस रात में इबादत करेगा। उसके पिछले सब गुनाह माफ हो जाते हैं। आखिरी अशरे में एतकाफ करते हैं। एतकाफ में बैठने वाले को बहुत ज्यादा सवाब मिलता है।