मुजफ्फरपुर : कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए किसी भी परीक्षा का आयोजन कराना एक चुनौती का काम होता है। बात जब मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा की हो तो यह परेशानी और बड़ी होती है किंतु बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इस चुनौती को स्वीकार किया। इस बार समय से मैट्रिक परीक्षा का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। इसके बाद मूल्यांकन में भी समय सीमा का ध्यान रखा गया। लेकिन अब स्कूल और कॉलेजों की लापरवाही सामने आ रही है। इसकी वजह से समय से परीक्षा परिणाम की अपेक्षा पाले परीक्षार्थियों का इंतजार थोड़ा और लंबा होता दिख रहा है। अपेक्षा यह होने लगी थी कि अप्रैल के आरंभ में ही इसका परिणाम जारी किया जा सकता है। इंटरनेट मीडिया पर भी कुछ ऐसे ही कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन…! जी हां, तमाम प्रयास के बावजूद सबकुछ अपेक्षा के अनुसार नहीं हुआ है। अब भी कुछ पेंच फंसे हैं। ऐसे में परीक्षा में शामिल हुए बच्चों को अभी परिणाम के लिए इंतजार ही करना होगा। समिति के सूत्रों की मानें तो अप्रैल के तीसरे या अंतिम सप्ताह पर धैर्य रखना पड़ सकता है। वैसे आधिकारिक रूप से इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा रहा है।
इस देरी की एक वजह स्कूल और कॉलेज प्रशासन की लापरवाही भी है। बहुत से ऐसे स्कूल और कॉलेज हैं जहां से मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा के प्रायोगिक विषयों के अंक परीक्षा समिति को नहीं भेजे गए हैं। स्वाभाविक है कि इन स्कूलों के इंतजार में समय से परीक्षा परिणाम जारी करने के परेशानी होगी। अभी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से ऐसे स्कूलों की सूची जारी करते हुए इन पर कार्रवाई का निर्देश जारी किया है।
वहीं, दूसरी ओर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से इंटर की कॉपियों के मूल्यांकन की अवधि को बढ़ा दिया गया है। पहले यह 15 मार्च तक था। अब यह 19 मार्च किया गया है। तात्पर्य यह कि जहां अब भी मूल्यांकन का काम पूरा नहीं हुआ है वहां शुक्रवार को भी मूल्यांकन का काम किया जाएगा। यदि पूरे सूबे की बात की जाए तो इस वर्ष की परीक्षा में 13 लाख 50 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इतना ही नहीं मैट्रिक परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन भी अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसके लिए भी समय सीमा को बढ़ाया गया है। अब इसके लिए 24 तक मूल्यांकन का काम चलेगा। यह काम 12 मार्च से चल रहा है। इस वर्ष की परीक्षा में 16 लाख 84 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे।