पटना: पटना हाई कोर्ट ने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर औपबंधिक (प्रोविजनल) जमानत पर रिहा अभियुक्त के फरार हो जाने के मामले पर सुनवाई की। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने इस मामले में के बेलर सह याचिकाकर्ता के छोटे भाई विजय साहनी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का आदेश पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक को दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश के अनुसार पटना के एसएसपी, पटना सिटी के एसडीपीओ, सीआईडी के डीआईजी गरिमा मल्लिक व डीआईजी उपेंद्र शर्मा वर्चुअल रूप से उपस्थित थे। कोर्ट ने सभी अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष उपस्थिति से छूट दे दिया है।
पूर्व में ही कोर्ट ने इस मामले में पटना के वर्तमान एसएसपी द्वारा किये गए प्रयासों की सराहना की थी। इस मामले में अगमकुआं के एसएचओ को शो कॉज भी दाखिल करने को कहा गया था। एसएचओ को शो कॉज में यह भी बताने को कहा गया था कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और यह भी बताने को कहा गया था कि किन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता सरेंडर नहीं किया।
याचिकाकर्ता के छोटे भाई विजय साहनी को भी नोटिस जारी किया गया था, जिसके हलफनामा के आधार पर याचिकाकर्ता को प्रोविजनल जमानत दी गई थी। पूर्व में कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगमकुआं के एसएचओ द्वारा दायर किया गया शो कॉज पूर्ण रूप से असंतोषजनक है। इसके बाद अगमकुआं थाना के एसएचओ को विगत 25 सितंबर, 2019 को भी कोर्ट में तलब किया गया था।
कोर्ट ने कहा कि 10 जनवरी, 2022 को दिये गए आदेश की जानकारी प्राप्त होने के बाद वर्तमान एसएसपी ने याचिकाकर्ता का पता लगाने का काम किया, जोकि मटिहानी पी एस केस नंबर – 160/ 2021 के संबंध में गोपाल चौधरी के कल्पित नाम से हिरासत में था। कोर्ट का कहना था कि पटना के एसएसपी ने भगोड़ा का पता लगाने में सही कार्रवाई की है।
कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि 18 जुलाई, 2018 से 31 दिसंबर, 2019 तक गरिमा मल्लिक पटना की एसएसपी थी और 1 जनवरी, 2020 से 1 जनवरी, 2022 तक उपेंद्र शर्मा पटना के एसएसपी थे। राज्य सरकार के अपर लोउक अभियोजक आनंद मोहन प्रसाद मेहता ने बताया कि याचिकाकर्ता को 18 जुलाई, 2018 को प्रोविजनल बेल दिया गया था। इस मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी।