पटना: कोरोना जनित वैश्विक महामारी से मानसिक एवं शारीरिक रूप से यूँ तो समस्त मानवजाति प्रभावित हुयी है. लेकिन इससे इतर भी कुछ अत्यंत गंभीर बीमारियां और भी हैं, जो कहीं न कहीं कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित भी हुयी है. उसमें थैलेसीमिया रोग अग्रणी रूप से शामिल है. इसको लेकर 8 मई को विश्व स्तर पर विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया गया जो विशेष रूप से थैलेसेमिया पीड़ित गर्भवती महिलाओं में इस रोग से होने वाली जटिलता एवं उनकी संघर्ष पर भी प्रकाश डालने की जरूरत को उजागर किया है. थैलेसेमिया पीड़ित मरीज़ वैसे ही विभिन्न कारणों से अतिसंवेदनशील वर्ग में आते है और निरंतर सामयिक रक्ताधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) ही इसका एकमात्र मानक उपचार है. ऐसे कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति में इस उपचार को उपलब्ध कराना अपने आप में एक अत्यंत जटिल समस्या बनकर उभरी है.
थैलेसीमिया ग्रसित गर्भवती महिलाओं को करना पड़ रहा मुश्किलों का सामना
एक तरफ जहाँ सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार के मद्देनजर लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी है, वहीँ लोग भी ऐसे दौर में घरों से निकलने में परहेज कर रहे हैं. जिसके कारण स्वैच्छिक रक्तदान में कमी देखने को मिल रही है. स्वैच्छिक रक्तदान में कमी आने से ब्लड बैंकों में खून की भी अनुपलब्धता होने लगी है. जिससे थैलेसीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमणकाल में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. एक तरफ जहाँ थैलेसीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए ब्लड बैंकों में रक्त की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ सकता है तो वहीँ ऐसी स्थिति में अस्पताल जाकर ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना भी इतना आसान नहीं है. साथ ही अस्पताल परिसर में कोरोना के कारण जाने से भय,चीलेटिंग एजेंट्स (अत्यधिक आयरन को कम करने वाले औषधि) की कमी,समय से पहले प्रसव होने की आशंका तथा अन्य कई कारण है जिनके चलते थैलेसेमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
घबराएं नहीं, डटकर करें सामना
ऐसे कठिन समय में प्रभावित सभी महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने एवं हर सम्भव प्रयास कर उपचार लेने की आवश्यकता है. इसके लिए सरकार द्वारा भी उपयुक्त कदम उठाए जा रहे है तथा कई स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा भी मदद उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए जरुरी है कि थैलेसेमिया से पीड़ित महिलाएं घबराएँ नहीं बल्कि इन विपरीत परिस्थितियों में डटकर मुकाबला करें.
डॉ. चारु मोदी, कंसल्टेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, मोदी नर्सिंग होम, पटना