छपरा: अस्पताल में कई महीने से मोबाईल की रोशनी में डॉक्टर कर रहे मरीजों का इलाज

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छपरा: बिहार सरकार एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं देने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन और रोगी कल्याण समिति की लापरवाही सरकार के दावे को खोखले साबित करने में जुटी है। ऐसा ही मामला मशरक पीएचसी में सामने आया है, जहां चिकित्सक प्रतिदिन इमरजेंसी में सड़क दुर्घटना या दूसरे सभी घायल व्यक्ति का इलाज उस जगह करने लगे, जहां एक भी बल्ब या इमरजेंसी लाइट इलाज के दौरान टांका देने के जगह पर चालू हालत में नहीं हैं।जब चिकित्सक मरीजों का इमरजेंसी में इलाज करने के दौरान अंधेरा देखकर लोगों के द्वारा अपने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में घायल का इलाज कर रहे हैं।

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सोमवार देर शाम चरिहारा गांव में के पास ऑटो की टक्कर में एक वृद्ध महिला और युवक गंभीर रूप से घायलावस्था में इलाज के लिए भर्ती कराएं गये यहां चिकित्सक उसका इलाज करने लगे, जहां टांका देने के दौरान इमरजेंसी सेवा के लिए लगी लाइट नही होने से मरीज के परिजन और एएनएम के मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में घायल का इलाज किया। इस दौरान लोगों ने अपने मोबाइल कैमरे से विडियो बना लिया और उसे वायरल कर दिया। मामले में जब पीएचसी प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई तों कोई भी संबंधित इस मामले में जबाब देने से पल्ला झाड़ लिया।

मामले में विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि पीएचसी के स्टोर में इमरजेंसी सेवा के तीन ओटी बेड और लाइट पड़ीं कबाड़ हों रही है यदि इस कबाड़ हों रही समानों को यदि इस्तेमाल किया जाए तो इस छोटी समस्या का समाधान हो सकता है।वही बिहार सरकार ने पीएचसी में रोगी कल्याण समिति का गठन किया है जिनका काम पीएचसी में स्वास्थय सुविधाओं में सुधार और मूलभूत सुविधाएं बढाना है, जिसके लिए पर्याप्त फंड भी होता है। इसके अंतर्गत विशेष आवश्यकता पर इससे धन निकाल कर आवश्यकता पूरी की जा सकती है।मशरक पीएचसी में इससे पैसा निकाला भी जाता है पर इसमें भी लाखों का गोलमाल होता है।

पिछले वर्ष में तों रोगी कल्याण समिति ने तों ऑन रिकॉर्ड विकास करतें हुए लाखों रूपये के पर्दे पीएचसी में लगाएं जिसकी कोई जरूरत नहीं थीं।मामले में रोगी कल्याण समिति सदस्य राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि पर्दे लगाने का काम प्रभारी के तरफ से की गई है जिस पर रोगी कल्याण समिति ने आपत्ति जाहिर की है। यदि रोगी कल्याण समिति के सदस्य अपनी कर्तव्यों को जान कर सुधार कराएं तों पीएचसी का स्वरूप बदल सकता है।वही स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि पीएचसी में चौबीस घंटे बिजली और जनरेटर सेवा उपलब्ध है पर तब भी मोबाइल लाइट से इलाज हो तों रोगी कल्याण समिति सदस्य समेत स्थानीय प्रतिनिधियों के लिए शर्म की बात है।