अस्पताल से नदारद डॉक्टर, निजी डॉक्टरों पर आश्रित मरीज
छपरा: जिले के मशरक प्रखंड के बाजार क्षेत्र में अवस्थित 6 बेड के स्वास्थ्य केंद्र में संसाधनों का घोर अभाव है। अस्पताल खुद इलाज की बाट जोह रहा है। आलम यह है कि पीएचसी क्षेत्र के लोगों के लिए महज शोभा की वस्तु बना हुआ है।अस्पताल की दुर्दशा के कारण स्थानीय दर्जनों गांवों के लोगों को चिकित्सा सुविधाओं के अभाव का दंश झेलना पड़ रहा है। बीमार पड़ने की स्थिति में लोगों के लिए निजी क्लीनिक या सदर अस्पताल छपरा जाना पड़ता है।इस अस्पताल में आधा दर्जन एमबीबीएस चिकित्सक पदस्थापित थे, लेकिन आज यह अस्पताल महज तीन एमबीबीएस चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है। जिसमें से अधिकांश गायब ही रहते हैं। वर्तमान में इस अस्पताल के भवन की चमक-दमक देखने से लगता है कि अस्पताल की व्यवस्था बेहतर होगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। अस्पताल के दो मंजिल के भवन में कुल दस कमरे हैं। कहने के लिए 6 बेड का अस्पताल है, लेकिन यहां समस्याओं का अंबार है।
एक लाख की आबादी इस अस्पताल पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आश्रित है। लेकिन, अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था की समुचित प्रबंध नहीं रहने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। बीमार मरीजों के लिए यहां उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड, महिला चिकित्सक और दवा की घोर कमी रहने के कारण बीमार मरीजों को पीड़ा का दंश झेलना पड़ता है। पीएचसी में प्रसव या प्रसव पूर्व जांच के लिए आई महिलाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ नही रहने से परेशान हो जाती है।
ऐसे में गर्भवती महिला का इलाज कैसे होगा, स्वजन इसी बात को लेकर परेशान हो जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए निजी क्लीनिक में जाना पड़ता है वही वर्षों पहले इस पीएचसी में अल्ट्रासाउंड मशीन थी पर आज सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा सुदृढ करने की बात बताई जाती है पर आज अल्ट्रासाउंड की सुविधा ठप्प पड़ी हुई है वही सरकार द्वारा स्त्री रोग चिकित्सक के प्रतिनियुक्ति नहीं होने के कारण यहां स्टाफ नर्स ही डिलीवरी करा रही हैं। आपात स्थिति में केस सदर अस्पताल छपरा रेफर कर दिया जाता है। स्वास्थ्य केंद्र पर आपरेशन की सुविधा भी नहीं है। अधिकांश दिनों में रात्रि के समय चिकित्सक मौजूद नहीं रहते।