छपरा: शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े की जांच अब अंजाम तक पहुंचने वाली है।शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों के शैक्षणिक कागजातों के फोल्डर को आधिकारिक पोर्टल पर अपलोड करने का जो वक्त दिया था,वह अब खत्म हो गया है।अब वैसे शिक्षकों की सूची बनाई जा रही है,जिनके दस्तावेज विभाग को अब तक नहीं मिले हैं।ऐसे शिक्षकों को अब अपना प्रमाणपत्र खुद ही विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना होगा।अगर वे ऐसा नहीं कर पाए,तो उनकी नौकरी जा सकती है।
सारण जिले में वर्ष 2006 से 2015 तक नियोजित हुए करीब 1677 शिक्षकों को खुद से शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपना प्रमाणपत्र अपलोड करना होगा।ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी,साथ ही इस दौरान लिया गया वेतन भी वसूला जाएगा।इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2006-2015 में करीब 12 हजार नौ शिक्षकों का नियोजन किया गया था,जिसमें से 1844 का फोल्डर किसी भी कारण से निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पास जांच के लिए नहीं गया है।वैसे शिक्षकों को उनकी जांच के लिए शिक्षा विभाग ने एक मौका दिया है।
1844 में से सारण जिले में 214 ऐसे शिक्षक हैं,जिनकी मृत्यु हो गई,सेवानिवृत्त हो गए या नौकरी छोड़ दिये हैं।उसके बाद बचे 1677 शिक्षकों का नाम पोर्टल में अपलोड कर दिया गया है।इन शिक्षकों को खुद से शिक्षा विभाग के पोर्टल पर शिक्षक का नाम,संबंधित प्रखंड का नाम,नियोजन इकाई का नाम, शिक्षक/शिक्षिका के पिता या पति का नाम,पदस्थापित विद्यालय का नाम,नियुक्ति की तिथि,ईपीएफ खाता संख्या अपलोड करना होगा।
उपर्युक्त के संबंध में परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि जिन शिक्षकों का नाम पोर्टल पर दिख रहा है,वे परेशान न हों।उन्हें अपना पूरा प्रमाण पत्र पोर्टल खुलने के बाद अपलोड करना होगा।शिक्षकों की समस्या के समाधान के लिए वह हर स्तर पर कार्य करेंगे,ताकि नियोजित शिक्षकों को कोई दिक्कत न हो।