छपरा: विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण कर बच्चों की स्वास्थ्य जांच करेगी डेडिकेटेड मोबाइल हेल्थ टीम

0

• राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की जाती है बच्चों की स्क्रिनिंग

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

• आरबीएसके चलंत दल को अन्य किसी कार्य में नहीं लगाने का निर्देश

• कार्यपालक निदेशक ने पत्र जारी कर दिया निर्देश

छपरा: ‘राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम’ अन्तर्गत गठित चलंत चिकित्सा दलों को डेडिकेटेड मोबाइल हेल्थ टीम की संज्ञा दी गई है। जिनका कार्य आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में भ्रमण कर बच्चों के स्वास्थ्य जाँच करना एवं रोग ग्रस्त पाए जाने वाले बच्चों का इलाज सुनिश्चित करवाना है। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि जिलों में कार्यों के अनुश्रवण समीक्षा के क्रम में ज्ञात होता है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा चलंत चिकित्सा दलों से बच्चों की स्वास्थ्य जाँच न करवा कर उनसे ओपीडी, इमरजेंसी और नाइट ड्यूटी का कार्य लिया जाता है अथवा समय-समय पर जिलों में होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों, यज्ञ, मेला, परीक्षा ड्यूटी , मद्य निषेध जाँच टीम, पंचायत निर्वाचन के समय मेडिकल कैम्पों के आयोजन संबंधी कार्यों में आरबीएसके टीम को लगाया जाता है। जो कि राज्य स्तर से दिये गए निदेशों की अनदेखी है। आरबीएसके टीम को अन्य किसी कार्य में नहीं लगाये जाने का निर्देश दिया गया है।

नीति आयोग द्वारा की जाती है समीक्षा:

जारी पत्र में कहा गया है कि ज्ञातव्य हो कि नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य सूचकांकों में आंगनबाड़ी एवं विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य जाँच को एक सूचकांक के रूप में रखा गया है। जिसकी समय-समय पर समीक्षा नीति आयोग द्वारा की जाती है। चलंत चिकित्सा दलों को अन्यत्र कार्यों में लगाये जाने से यह सूचकांक प्रभावित हो रहा है। विशेष परस्थिति यथा प्राकृतिक आपदा के समय कुछ दिनों समयावधि के लिए ही आरबीएसके टीम से कार्य लिया जा सकता है।

राज्य से अनुमति के बाद चलंत चिकित्सा दलों से लिया जा सकता है ओपीडी और इमरजेंसी का कार्य:

कार्यपालक निदेशक ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों की कमी होने की स्थिति में, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपलब्ध चिकित्सकों की सूची राज्य स्तर पर आरबीएसके कोषांग को उपलब्ध करायेंगे एवं राज्य स्तर से अनुमति दिये जाने के उपरान्त ही आरबीएसके चलंत चिकित्सा दलों से ओपीडी और इमरजेंसी का कार्य लिया जा सकता है। इसका अनुपालन न करना राज्य स्तर से दिये जा रहे निदेशों का उल्लंघन माना जायेगा। अपने स्तर से इस संबंध में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को स्पष्ट निदेश प्रदान करें।

आयुष चिकित्सक करते हैं बच्चों की स्क्रीनिंग:

स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के आरबीएसके की चलंत चिकित्सा दल प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। ऐसे में जब सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करती है। स्क्रीनिंग किए गए बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते हैं । इस तरह बच्चों में 38 प्रकार की बीमारियों की जांच की जाती है। आरबीएसके के चलंत चिकित्सा दलों के द्वारा स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की 38 तरह की बीमारी का स्क्रीनिंग की जाती है। साथ ही उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए रेफर किया जाता है। आशा को एचबीएनसी पर पांच जन्मजात विकृतियों को चिह्नित कर आरबीएसके टीम को सूचित करने का टास्क दिया जाता है।