छपरा: पुलिस शब्द को परिभाषित कर रहे हैं मशरक थाने के थानेदार राजेश कुमार। पुरुषार्थ लिप्सा रहित और मानवता का साहसी कदम उठाकर लोगों के बीच पुलिस की अच्छी छवि का संदेश देने का काम किया हैं।जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है। खाकी वर्दी को देखकर लोग अपराधियों को धर दबोचने या उसके कारनामों पर रोक लगाना ही मुख्य उद्देश्य समझते हैं लेकिन जब पुलिस की वर्दी इन कारनामों के अलावे सामाजिक सरोकार से जुड़ती है तो निश्चित उनकी प्रशंसा होना लाजमी साबित होता है। ऐसा ही मामला सारण जिले के मशरक थाना पुलिस ने किया हैं। 15 महीनों से घर से गुम एक विक्षिप्त महिला को थानाध्यक्ष के द्वारा महिला की पहचान कर परिजनों को बुलाकर सौप दिया।मामला है कि सहरसा जिले के सलखुआ थाना क्षेत्र के भेलवा गांव निवासी पप्पू राम की 45 वर्षीय पत्नी ममता देवी जो विक्षिप्त थी वो 15 महीने पहले घर से भटक गयी।
जिसे परिजनों द्वारा काफी खोजबीन की गयी पर महिला का कोई पता नहीं चला।वही महिला भटकते हुए सारण जिले के मशरक थाना क्षेत्र के लखनपुर गोलम्बर पर आ गयी तभी थाना पुलिस गश्ती दल में जमादार ओम प्रकाश यादव से महिला ने खाने के बिस्कुट की मांग की जिस पर जमादार द्वारा मानवीयता दिखाते हुए महिला को वही लाईन होटल में खाना खिलाया और उसकी पहचान कर ली और जिसमें महिला उन्ही के जिले की निवासी थी जिस पर उन्होंने अपने गांव में इसकी सूचना दी और वहां पर महिला के परिजनों को सूचना दी गई।वही महिला को थाने में महिला बल के हवाले कर दिया गया जहां महिला बल के जवानों ने महिला की साफ सफाई के साथ सामान्य लोगों की तरह अपने कपड़े पहना और खाना खिलाकर पुलिस फ्रेंडशिप का नया आयाम दिया।
शुक्रवार की देर शाम परिजनों द्वारा निजी वाहन से सहरसा गांव से मशरक थाना पहुच महिला को पाकर बेहद खुश हुएं। परिजनों को सामने देख महिला रो पड़ी। वही महिला का दस वर्ष का बेटा अपनी मां से मिलकर खुशी से झूम उठा। महिला के पति पप्पू राम ने बताया कि पत्नी ममता देवी की मानसिक स्थिति कमजोर है वह 15 महीने पहले ही गुम हो गयी काफी खोजबीन करने पर भी उसका पता नहीं चल सका।पुलिस ने जांच के बाद महिला को परिजनों को सौंप दिया। महिला के सकुशल बरामद होने पर परिजनों ने थानेदार समेत सभी पुलिस कर्मियों का आभार जताया।निश्चित ही इस प्रकार के कार्य और पब्लिक के बीच में एक नए आयाम को अंजाम देने की एक कड़ी मानी जा रही है। पुलिस पर सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। वहीं दूसरे कार्यों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना उनके जनमानस का भला करना मानवीय संवेदना का एक अलग ही रूप हैं।