- चुनावी आखाड़े के दौरान झलक रही थी साफ-साफ अभद्रता
- रंगीन मिजाजी सिद्धांत से कभी समझौता नहीं किया विधायक ने
परवेज़ अख्तर/सिवान:
सिवान का सबसे हॉट सीट माने जाने वाला विधानसभा क्षेत्र बड़हरिया सीट पर एक तरफ बहादुर दूसरी तरफ बच्चा के बीच हुई कांटे की हुई लड़ाई में बच्चा, बहादुर पर अंततः भारी पड़ गए। यहां बताते चलें कि चुनावी सरगर्मियां के बीच जिस प्रकार आरजेडी की तरफ से भावी उम्मीदवारी पेश करते हुए श्री बच्चा जी पांडे द्वारा दूसरी बार चुनावी अखाड़े में उतर स्थानीय विधायक श्री श्याम बहादुर सिंह को खुली चुनौती दी गई थी। ठीक उसी प्रकार जदयू विधायक श्री श्याम बहादुर सिंह ने भी श्री बच्चा जी पांडे को कई बयानों के दरमियान ऐसे शब्दों के हवाले लथाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा। जिसमें अभद्रता साफ-साफ झलक रही थी। खैर चुनावी गर्माहट के बीच मतदान की तिथि नजदीक आई और मतदाताओं ने निष्पक्ष मतदान करते हुए अपना बहुमूल्य मत को मशीन में दर्ज कराया। अब बड़ी बेसब्री से सभी को उस दिन का इंतजार था जब मशीनों में कैद जनता के फैसले को नतीजों के तौर पर सार्वजनिक किया जाता, देखते देखते यह दिन भी करीब आ गया, इससे 1 दिन पूर्व ,विधायक श्री श्याम बहादुर सिंह ने बची कुची मुरादे भी पूरी कर ली।
इन्होंने फिर एक बयान दिया जिसमें भोजपुरी भाषा के बीच इन्होंने यह कह दिया कि बच्चा बाबा ठेला गइले, लेकिन जब परिणामों से पर्दा उठा तो इसका बिल्कुल विपरीत हो गया। और जेडीयू विधायक श्री श्याम बहादुर सिंह द्वारा दिए गए बयान उन पर खुद पर लागू होता नजर आया। खैर अब चुनावी बोल बाजियां बंद हो चुकी हैं। ताजपोशी की तैयारी शुरू है कहीं खुशी कहीं गम का माहौल है।आरजेडी उम्मीदवार श्री बच्चा जी पांडे की जीत से समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। उधर जेडीयू विधायक की बात करें तो ऐसा प्रतीत होता है की सब कुछ बदल गया लेकिन उपरोक्त विधायक ने अपनी रंगीन मिजाजी सिद्धांत से कभी समझौता नहीं किया।
गौरतलब हो कि श्री श्याम बहादुर सिंह के पराजित होने की वजह पर प्रकाश डालें तो आम जनों का कहना है कि इस बार भी रंगीन विधायक जी ही जीतते,उनकी हार इतनी आसान नहीं थी मगर चुनावी दौरों के दौरान सामाजिक अनुशासनिक मापदंडों से ऊपर उठ जनता के समक्ष दरियादिली दिखाना उपरोक्त विधायक जी को महंगा पड़ा है। इनके कई बयानों ने इनके हितेषी मतदाताओं के साथ-साथ खास करीबी लोगों को दिली चोट पहुंचाया है।शायद इसी दिली चोट ने जो दिल्ली इनके लिए नजदीक थी उसे काफी दूर साबित किया है।उधर विधायक जी का नाच गान भले ही चर्चाओं में बेशुमार रहता था यूं कहें कि कहीं-कहीं किरकिरी होती थी परंतु इस रंगीन मिजाजी को बेहद करीब से देखा जाए तो कहीं ना कहीं विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश जनता इसे बेहद पसंद भी करती थी।