पटना: गुरुनानक जयंती के अवसर पर आज देश के नाम अपने संबोधन में संसद से पारित तीन कृषि बिलों को वापस लेने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही उन्होंने लगभग एक साल से धरने पर बैठे देश के किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने और उन्हें वापस घर लौटने की अपील की। जिसको लेकर देश भर से अलग अलग प्रतिक्रिया मिल रही है। जहां विपक्ष ने इसे किसानों की जीत और मोदी सरकार के अहंकार की हार बताया है। वहीं दूसरी तरफ एनडीए की तरफ से मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया गया है।
बात अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करें, तो उन्होंने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया है। अपनी आंखों के इलाज के लिए दिल्ली गए मुख्यमंत्री ने कृषि कानून को वापस लेने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह केंद्र का निर्णय है। प्रधानमंत्री जी को लगा कि किसानों के लिए जो कानून वह लेकर आए थे, उसे वह सही तरीके से उन्हें समझा नहीं पाए। इसलिए कानून वापस लेने का फैसला लिया गया।
नीतीश कुमार ने कहा कि हर कानून के दो पहलू होते हैं, जिनमें कुछ लोग सपोर्ट करते हैं, वहीं कुछ लोग विरोध करते हैं। यहां भी ऐसा ही हुआ। प्रधानमंत्री जी कानून लेकर आए, अब उसे वापस लेने की घोषणा की, दोनों फैसले केंद्र के थे। इसलिए हम इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं। प्रधानमंत्री ने पहली ही सारी बातें कह दी हैं। उन्होंने कहा कि सब ठीक होगा। हमारे यहां पहले भी किसानों के लिए काम होता रहा है, आगे भी होता रहेगा।
उन्होंने कहा, ” विपक्ष के लोग क्या बोलते हैं, ये तो उनकी अपनी इच्छा है. सबको बोलने का अधिकार है. तो वो बोलते रहते हैं. लेकिन निर्णय तो केंद्र सरकार को लेना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा कर भी दी है. उन्होंने खुद ही सब कुछ साफ-साफ कह दिया है. हमारे यहां जो किसानों के लिए काम चल रहा है, वो चलता ही रहेगा. यहां किसी तरह का कोई असंतोष नहीं है.”