परवेज़ अख्तर/सिवान:- घायल परिदा है तू, दिखला दे जिदा है तू, बाक़ी हैं तुझमें हौसला, तेरे जुनून के आगे अंबर पनाहे मांगे, कर डाले तू जो फैसला ये वाक्य कोरोना के उन योद्धाओं के लिए सटीक हैं जिन्होंने समाज की सुरक्षा के लिए कोरोना संक्रमित होने के बाद भी अपने कर्तव्य का निर्वहन हिमालय की तरह अडिग होकर किया। कोरोना संक्रमण का शिकार आम आदमी तो हो ही रहे हैं, उन्हें इससे सुरक्षित करने वाले भी इससे अछूते नहीं हैं, लेकिन उम्मीद की किरण के साथ सभी कोरोना की जंग लड़ रहे हैं। तभी तो इन योद्धाओं को कोराना वॉरियर का नाम दिया गया है। उन्हीं योद्धाओं में गुठनी अस्पताल के प्रभारी और कई स्वास्थ्यकर्मी भी हैं, जो कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हुए और फिर से समाज की सेवा में लग गए।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुठनी में पदस्थापित प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ. शब्बीर अख्तर सबसे पहले 24 मई कोरोना से संक्रमित हुए। उनके संक्रमित होते ही उन्हें होम क्वारंटाइन किया गया, लेकिन अगले ही हफ्ते 28 मई को एएनएम धर्मावती देवी को भी संक्रमण हो गया। इससे पूरे अस्पताल में खलबली मच गई, क्योंकि कोविड 19 का रजिस्ट्रेशन धर्मावती देवी ही करती थी। उन्हीं के साथ पूरी जांच टीम एक गाड़ी में कोरोना जांच शिविर में जाती थी। अगले ही दिन स्वास्थ्य प्रबंधक जितेंद्र सिंह, लैब टेक्नीशियन समेत पांच स्वास्थ्य कर्मी पॉजिटिव हो गए। इसके बाद सभी 15 जून तक क्वारंटाइन में रहने के बाद कोरोना से जंग जीतकर पुन: सेवा में लग गए। पूरा समाज ऐसे योद्धाओं पर गर्व करता है। कोरोना जंग में गुठनी अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ. शब्बीर अख्तर, धर्मावती कुशवाहा, विकास कुमार दुबे, अवधेश कुमार शर्मा, प्रभात कुमार पांडेय, डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, बालेश्वर पासवान शामिल थे।