सावधानियों के साथ कोरोना से मृत व्यक्तियों की सम्मानजनक तरीके से करें अंतिम संस्कार: डीपीएम

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  • स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइडलाइंस को करें पालन
  • कोरोना से भयभीत लोग दाह संस्कार में नहीं हो रहें शामिल

सिवान : कोरोना संक्रमण का डर किस कदर फैला हुआ है कि कई लोग अपने उन परिजनों के शव लेने तक से इनकार कर रहे हैं, जिनकी मौत कोविड 19 के कारण हो रही है। कोरोना वायरस से भयभीत लोग अपने परिवार के सदस्यों के दाह संस्कार करने के लिए तैयार नहीं है. कुछ लोग तो उसे लावारिस लाश की तरह स्थानीय प्रशासन को ही दाह संस्कार के लिए कह रहे हैं. डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने बताया तमाम ऐसे मामले हाल के दौर में प्रकाश में आ रहे हैं. लोगों में कोरोना संक्रमितों की मौत के बाद उनके दाह संस्कार को लेकर कुछ भ्रांतियां भी फैली है. लेकिन सच्चाई यह है कि मृत देह से कोरोन संक्रमण का प्रसार नहीं होता है. मौत के दो घँटे बाद डेड बॉडी से वायरस खत्म हो जाता है। यद्यपि, इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियात के तौर पर कोविड-19 रोगियों के शवों के सुरक्षित दाह संस्कार के विषय में दिशा निर्देश भी जारी किया है. इन्हीं दिशानिर्देश के अनुरूप शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है एवं इसके विषय में लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

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अंतिम विदाई सम्मानजनक तरीके करें

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने बताया कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौत को झेल रहे परिवारों पर यह दोहरा और अनावश्यक आघात है। किसी प्रियजन की मौत के बाद सबसे पहली जिम्मेदारी उन्हें अंतिम विदाई सम्मानजनक तरीके से देने की होती है। शोक की प्रक्रिया इस अंतिम संस्कार वाले क्षण से ही शुरू होती है। कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिनमें कोरोना संक्रमित लोग अपने अंतिम समय में अपने मां-बाप, बच्चे या जीवनसाथी का साथ नहीं पा सके। कोरोना संक्रमण के भय के कारण परिवार के लोगों को इनसे दूरी बनानी पड़ी। कोरोना के संक्रामक प्रवृत्ति और अस्पतालों की निर्देश के कारण बहुत सारे लोग चाहकर भी अपने प्रियजनों के अंतिम समय में उनके साथ नहीं रह सके। उन्होने बताया कोरोना के मरीजों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया जा सकता है. इस बारे में कई भ्रामक जानकारियां फैली हुई हैं। यह दुखद है कि इन्हीं भ्रामक जानकारियों के कारण परिवार के लोग कोरोना के शिकार लोगों का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। डीपीएम ने बताया हर एक व्यक्ति को अधिकार है कि सम्मानजनक तरीके से अपने परिजनों से विदा ले। हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि मृतकों का अंतिम संस्कार परिजनों द्वारा किए जाने में कोई ख़तरा नहीं है। उन्हें दफ़नाने या उनके दाह संस्कार करने से कोरोना का संक्रमण नहीं फैलता है।

कोविड-19 हवा से नहीं फैलता बल्कि बारीक कणों के ज़रिए फैलता है

डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने बताया स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश में इस बात पर बहुत ज़ोर दिया गया है कि कोविड-19 हवा से नहीं फैलता बल्कि बारीक कणों के ज़रिए फैलता है। मेडिकल स्टाफ़ से कहा गया है कि वह कोविड-19 के संक्रमण से मृत व्यक्ति के शव को वॉर्ड या आइसोलेशन रूम से सावधानियों के साथ ही शिफ़्ट करें। शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग करें।

शव को प्लास्टिक के लीक-प्रूफ़ बैग में रखा जाए

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस में बताया गया है कि मरीज़ के शरीर में लगी सभी ट्यूब बड़ी सावधानी से हटाई जाएं। शव के किसी हिस्से में घाव हो या ख़ून के रिसाव की आशंका हो तो उसे ढका जाए। मेडिकल स्टाफ़ यह सुनिश्चित करे कि शव से किसी तरह का तरल पदार्थ ना रिसे। शव को प्लास्टिक के लीक-प्रूफ़ बैग में रखा जाए। उस बैग को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित बनाया जाए। इसके बाद ही शव को परिवार द्वारा दी गई सफेद चादर में लपेटा जाए। केवल परिवार के लोगों को ही कोविड-19 के संक्रमण से मरे व्यक्ति का शव दिया जाए। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के इलाज में इस्तेमाल हुईं ट्यूब और अन्य मेडिकल उपकरण, शव को ले जाने में इस्तेमाल हुए बैग और चादरें, सभी को नष्ट करना ज़रूरी है। मेडिकल स्टाफ़ को यह दिशा-निर्देश मिले हैं वे मृतक के परिवार को भी ज़रूरी जानकारियाँ दें और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए काम करें।

अंतिम संस्कार के समय इन बातों का रखें ध्यान

  • अंतिम संस्कार की जगह को और क़ब्रिस्तान को संवेदनशील जगह मानें. भीड़ को जमा ना होने दें ताकि कोरोना वायरस के ख़तरे को कम रखा जा सके.
  • परिवार के अनुरोध पर मेडिकल स्टाफ़ के लोग अंतिम दर्शन के लिए मृतक का चेहरा प्लास्टिक बैग खोलकर दिखा सकते हैं, पर इसके लिए भी सारी सावधानियाँ बरती जाएं.
  • अंतिम संस्कार से जुड़ीं सिर्फ़ उन्हीं धार्मिक क्रियाओं की अनुमति होगी जिनमें शव को छुआ ना जाता हो.
  • शव को नहलाने, चूमने, गले लगाने या उसके क़रीब जाने की अनुमति नहीं होगी.
  • शव दहन से उठने वाली राख से कोई ख़तरा नहीं है. अंतिम क्रियाओं के लिए मानव-भस्म को एकत्र करने में कोई ख़तरा नहीं है.