परवेज अख्तर/सिवान: जिले के दरौंदा प्रखंड क्षेत्र के हड़सर पंचायत के पूर्वी हड़सर गांव में मां हड़सरा देवी के स्थान पर चैत के महीने में सोमवार को हर साल की भांति इस साल भी मां काली की पूजा हुई. यहां पर सावन महीने एवं चैत महीने में मां काली की पूजा काफी धूमधाम से होती है. यहां पर डेढ़ सौ वर्षों से पूजा होती आ रही है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि काली मां कलकत्ता से चल कर कामाख्या उसके बाद पटना में रुकी. जहां पटन देवी कहलाई. पटना से आमी पहुंची, उसके बाद हड़सर पहुंची. जहां हड़सरा देवी के नाम से जानी गई. इसके बाद थावे पहुंची, जहां मां थावे वाली के नाम से जानी जाती है. वहीं पिपरा गांव में भी काली स्थान पर भी मां काली की पूजा होती है.
पूजा करने के लिए सिरसाव मठिया, दारौंदा, पिपरा, कोडारी, भूसी, हाथोपुर, धनौती, धनाडीह, विश्वम्भरपुर, रसूलपुर, मिल्की, कोल्हुआ, अरजल, मन्द्रपाली के अलावे दर्जनों गांवों के लोग सोमवार को पहुंचे. चैते का आयोजन ग्रामीणों के सहयोग से हुआ. जिसका लोगों ने आनंद लिया. यहां पूजा समिति एवं ग्रामीण योगेंद्र यादव, जगरनाथ मिश्र, किशनाथ यादव, हरेराम यादव, त्रिलोकी सिंह, विपिन यादव, सरोज यादव, हरेंद्र यादव, अभिषेक कुमार, सुमन यादव, शम्भू यादव, मंटू प्रसाद, अरुण व्यास, सेठ सिंह, रंजीत सिंह, मनीष कुमार, रजनीश कुमार, अवधेश साह, डॉ० पी एन सिंह, डॉ० बलिराम सिंह, अभय कुमार, दीपक कुमार, सतन कुमार, राजेश कुमार, धर्मेंद्र गौरी यादव, राजीव भारती के अलावे हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे.