दारौंदा: रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय !

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भाजपा और जदयू की आपसी तकरार कम होने का संकेत नहीं

परवेज़ अख्तर/सीवान :- पुरानी कहावत आज दारौंदा विधानसभा उपचुनाव में साबित हो गई । एनडीए की आपसी तकरार और पाटने की तमाम कोशिश धरी की धरी रह गई । भारतीय जनता पार्टी भले ही इस जीत पर जश्न मना रही हो लेकिन आने वाले दिन में यह तकरार कम होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। सिवान का इतिहास दोहराया जा रहा है जब 2009 में जदयू द्वारा घोषित प्रत्याशी वृषिण पटेल को निर्दलीय प्रत्याशी ओम प्रकाश यादव ने हरा दिया था। सीवान के दरौंदा उपचुनाव में आज एनडीए के दामन में आग लग गई और वह भी घर के चिराग से। यूं तो हारने जीतने के बाद आकलन होते रहते हैं और हार का ठीकरा दूसरे पर और जीत की जिम्मेदारी स्वयं ली जाती है ।लेकिन इस चुनाव में एक नहीं बल्कि गलती पर गलती होती चली गई, जिसका परिणाम आज दिख रहा है। जिस समय दारौंदा उपचुनाव की चर्चा होने लगी उसके पूर्व से भाजपा के जिला उपाध्यक्ष एवं एनडीए प्रत्याशी कविता सिंह को जिताने के लिए उनके पति अजय सिंह के कंधा में कंधा मिलाकर लोकसभा चुनाव में सहयोग करने वाले कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने दरौंदा विधानसभा में अपना डेरा डाल लिया और यह मानकर चलने लगे कि अंततः एनडीए के प्रत्याशी उन्हें बना दिया जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि अजय सिंह को इस शर्त के साथ मदद करने की बात हुई थी कि वे उन्हें यानी ब्यास सिंह को विधानसभा से टिकट दिलवा देंगे। लेकिन दूसरी गलती तब हो गई जब जदयू ने अपने प्रत्याशी के रूप में सांसद कविता सिंह के पति एवं हिंदू वाहिनी के नेता अजय सिंह को टिकट देने की घोषणा कर दी ।जबकि इसके बाद एनडीए प्रत्याशी के रूप में अजय सिंह के नाम की घोषणा की गई। तब तक बात बिगड़ चुकी थी भाजपा और जदयू आमने-सामने थे और निश्चित हो गया था कि उपचुनाव जदयू और भाजपा के बीच नूरा कुश्ती होगी और इसे पाटने के लिए पहले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को भेजा गया लेकिन कार्यकर्ताओं के बगावती तेवर के सामने उनकी नहीं चली ।फिर प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार जायसवाल को सिवान भेजा गया लेकिन वह भी फेल रहा है । इस अहम कार्य के लिए उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बीड़ा उठाया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान एक मंच पर आए और उन्होंने एनडीए प्रत्याशी अजय सिंह को जिताने की अपील की लेकिन यह भी दाव नीतीश और मोदी के लिए उल्टा पड़ गया जैसे ही मंच से मोदी ने यह घोषणा कर दी की आज शाम तक है यदि बागी उम्मीदवार अजय सिंह का समर्थन नहीं कर देंगे तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी शायद उनका यह बयान आग में घी के तरह काम कर गया और इसकी प्रतिक्रिया यह हुई कि मोदी अब डराने भी लगे हैं और नेता तो भले डर गए लेकिन कार्यकर्ता और समर्थक ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी कि मोदी को अब सबक सिखाना है उनका यह बयान भारी पड़ गया। इस बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा भी जदयू के साथ चुनाव लड़ने की बात कहीं तब तक बात बिगड़ चुकी थी अब जनता आरपार के मूड में हो गई थी इधर जदयू द्वारा बार-बार जीत के दावे और हर हाल में जीत के दावे ने न्यूटन के तीसरे नियम को लागू कर दिया जिसमें प्रत्येक क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इस बीच पत्रकारों से जदयू का उलझना भी उन्हें नुकसानदेह साबित किया विरोधियों का यह आरोप कि दूसरा बाहुबली पैदा हो रहा है जनता को यह बात खटकने लगी और लगा कि वास्तव में जो पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव बयान दे रहे हैं वह कहीं ना कहीं सही साबित हो जाए और फिर क्या था भाजपा के जितने कार्यकर्ता थे वह सब करणजीत सिंह के साथ चले गए और नेता अजय सिंह के साथ केवल जीत का हुंकार भर रहे थे। पहली बार दारौदा विधानसभा में किसी के जीतने के लिए नहीं बल्कि हराने के लिए वोट डाले गए और इसका परिणाम साफ था कि एक तरफ लोगों को यह यकीन लग रहा था कि राजद का प्रत्याशी निकलेगा नहीं इसलिए उनके समर्थक इंजीनियर शैलेंद्र को वोट देने लगे और जब हराने की स्थिति में दारौंदा की जनता के सामने कोई विकल्प नहीं था ।इसलिए उन्होंने करण जीत सिंह उर्फ व्यास सिंह को ही मत देना उचित समझा। यह चुनाव परिणाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ,उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ,और तमाम बड़े नेता जो यह समझते हैं कि केवल उनके इशारे पर वोट हो जाए। उधर राजद की भी स्थिति कमोबेश वही रही राजद के आलाकमान ने राजद के उमेश कुमार सिंह को टिकट देकर मैदान में उतार दिया लेकिन लंबे समय से कार्य करने वाले राजद नेता इंजीनियर शैलेंद्र ने चुनौती देकर मैदान में उतर गए ।

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