परवेज अख्तर/सिवान : रमजान उल मुबारक रहमतों बरकतों सआदतों इनायतों नवाजिशों और गुनाहों की बख्शीश का महीना है। इसका फायदा वहीं लोग उठाते हैं जो अल्लाह की रहमत के सच्चे तलबगार होते हैं। दिन में रोजा रखकर और रात में तरावीह और नमाज अदा करते है। वे रमजान की फजीलतों से मालामाल होते हैं। रमजान का पहला अशरा खत्म हो चुका है और दूसरा आसरा चल रहा है। रमजानुल मुबारक महीना के दूसरे अशह को मगफिरत का अशरह कहते हैं। कुरान शरीफ में अल्लाह ताला फरमाता है और जो शख्स अपने रब के सामने खड़ा होने से डर गया और नर्स को ख्वाहिशात से रोका तो बेशक जन्नत ही उसका ठिकाना होगी। रमजान के दूसरा अशरह की फजीलत बयान करते हुए खैरा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हाफिज मोहम्मद इरशाद कहते हैं कि अल्लाह तआला इस अशरह में अपने रोजेदार बंदों से माफी की दुआ कबूल करते हैं।
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