परवेज अख्तर/सिवान:- शहर में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक डेंगू मरीजों की संख्या अब 25 के पार हो गयी है। पटना से जांच रिपोर्ट आने के बाद इन मरीजों में डेंगू की पुष्टि की गई है। लेकिन, जिले में डेंगू जांच की प्रकिया ही शुरुआती दौर से ही सवालों के घेरे में आ गयी थी। शहर में शुरू के दो एंटी डेंगू कैंपों में किट से एनएस वन की जांच की गई। इस दौरान 39 मरीजों का एनएस वन पॉजिटिव आया। इसके बाद तीसरे दिन स्वास्थ्य विभाग ने किट से डेंगू की जांच बंद कर दी। स्वास्थ विभाग ने किट की जगह सीबीसी कर प्लेटलेट्स की जांच कर डेंगू की पड़ताल शुरू किया। लेकिन, जिन मरीजों का सीबीसी किया गया उनका फॉलोअप नहीं हुआ। ऐसे में बहुत सारे मरीज प्राइवेट में इलाज करना ही बेहतर मान कर गोरखपुर या पटना चले गए। कुछ एक मरीज जो बाहर जाने में असमर्थ रहे यहीं किसी निजी डॉक्टर से अपना इलाज कराते रहे। इतना ही नहीं जिले के स्वास्थ्य विभाग के पास डेंगू जांच की भी व्यवस्था नहीं है। संदिग्ध डेंगू मरीजों का ब्लड सैम्पल जांच के लिए पटना भेजा गया है। जबकि डेंगू में मरीजों पर एक-एक दिन भारी रहा। रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद डेंगू मरीजों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल ऐसे मरीजों को सीधे पटना रेफर कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने अब तक एंटी डेंगू के शहर में 13 कैंप लगाए हैं। कंपोनेंट मशीन नहीं होने से प्लेटलेट्स के लिए परेशान हुए मरीज सदर अस्पताल में चल रहे ब्लड बैंक के कंपोनेंट मशीन नहीं लगे होने से प्लेटलेट्स अलग नहीं होता है। डेंगू पीड़ित मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कुछ गंभीर स्थिति में रहे मरीजों को ब्लड चढ़ाया गया। बाद में मरीजों के परिजन इलाज के लिए गोरखपुर या पटना ले कर चले गए। स्थानीय ब्लड बैंक में प्रतिदिन करीब 20 से 25 यूनिट ब्लड की खपत है।
शहर में डेंगू का खौफ जारी, प्राइवेट क्लीनिकों में चल रहा इलाज
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