परवेज अख्तर/सिवान : जिले के दारौंदा प्रखंड में भूगर्भीय जलस्तर में गिरावट का दौर लगातार जारी है। पारंपरिक जल स्रोतों के सूखने से भीषण गर्मी में आम लोगों को जहां पेयजल के लिए परेशान होना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से प्रखंड क्षेत्र में पानी के लिए लोगों के बीच हाहाकार मचा हुआ है, क्योंकि पानी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसके चलते कई चापाकल सूख गए हैं। इससे इस तरह की गंभीर समस्याएं लगभग सभी गांव में उत्पन्न होती जा रही है। क्षेत्र के हजारों चापाकल सूख चुके हैं। पानी के लिए लोग दिन भर बोरिंग एवं चापाकल पर डब्बा लेकर भटकते रहते हैं, लेकिन उन्हें पानी काफी जद्दोजहद के बाद मिल रहा है। जानवरों एवं पालतू मवेशियों के लिए भी पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे में जलसंकट गहराता जा रहा है। पानी के लिए लोग लगातार सड़कों पर उतर रहे हैं। ऐसा भूगर्भीय जल के लगातार दोहन के कारण हो रहा है। भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट के कारण घरों में पूर्व से लगाए गए चापाकल जवाब दे रहे हैं। हैंडपंप सूखने के बाद गांवों में पानी की समस्या गंभीर हो गई है। प्रखंड क्षेत्र का बगौरा सहित कई पंचायत में जल संकट की पीड़ा से त्रस्त है। दुनिया के क्षेत्रफल का लगभग 70 प्रतिशत भाग जल से भरा हुआ है, लेकिन पीने योग्य मीठा जल मात्र 3 प्रतिशत है, शेष भाग खरा जल है। इसमें से भी मात्र एक प्रतिशत मीठे जल का ही वास्तव में हम उपयोग कर पाते हैं। जल का प्रदूषण और जल की खपत बढ़ने के कारण जलचक्र बिगड़ता जा रहा है। पेयजल स्रोतों की कमी ने प्रखंड में बोतलबंद और होम डिलेवरी वाली पानी ही आमलोगों के प्यास को बुझाने का सहारा बना हुआ है। इस संबंध में बीडीओ रीता कुमारी ने बताया कि संबंधित विभाग को सूख रहे चापाकल को मरम्मत के लिए कहा गया है।
सूख रहे चापाकल, लोगों की बढ़ रही परेशान
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