छपरा: नवादा के तत्कालीन जिला परिवहन पदाधिकारी नरेश पासवान को कोई राहत नहीं मिली। परिवहन विभाग ने सदा के लिए पूर्ण पेंशन पर रोक लगाने के निर्णय को यथावत रखा है। सेवा निवृत जिला परविहन पदाधिकारी अब जिंदगी भर जुर्म की सजा भुगतेंगे। नवादा के तत्कालीन परिवहन पदाधिकारी नरेश पासवान को निगरानी ब्यूरो ने ₹45000 घूस लेते 2008 में ही गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद परिवहन विभाग ने 30 जुलाई 2008 को सस्पेंड कर दिया था ।
निगरानी ब्यूरो ने जब छापेमारी की थी तो ₹45,000 रिश्वत लेते नरेश पासवान गिरफ्तार हुए थे, साथ में पटना के चितकोहरा स्थित घर की तलाशी में ₹4,14,000 नकद बरामद हुआ था। परिवहन विभाग ने आरोपी अधिकारी को निलंबित करने के बाद विभागीय कार्यवाही शुरू की थी। इसी दौरान वे 31 जुलाई 2009 को सेवानिवृत्त हो गए। विभागीय जांच में सभी आरोप प्रमाणित पाए गए। जिसके बाद पूर्ण पेंशन पर सदा के लिए रोक लगाई गई साथ ही निलंबन अवधि 30 जुलाई 2008 से 31 जुलाई 2009 तक इनको जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त कुछ भी दिया नहीं देने का दंड दिया गया।
इस दंड के खिलाफ आरोपी DTO पटना उच्च न्यायालय में गए। जहां से कोर्ट ने इस दंड आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद फिर से विभागीय कार्यवाही चालू हुई। 31 जुलाई 2018 को परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया। संचालन पदाधिकारी ने पूरे मामले की समीक्षा की। समीक्षा के बाद अनुशासनिक प्राधिकार ने तत्कालीन जिला परिवहन पदाधिकारी के विरुद्ध प्रमाणित आरोप की प्रकृति एवं गंभीरता को देखते हुए बिहार पेंशन नियमावली के नियम के तहत सदा के लिए पूर्ण पेंशन पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया । साथ ही निलंबन अवधि के दौरान जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त कुछ भी देय नहीं होगा।