- डीएमटी आउटरिच की भूमिका में किया बेहतर प्रदर्शन
- अमानत ज्योति कार्यक्रम से कार्यक्षमता का हुआ विकास
- प्रसव कक्ष के साथ-साथ आउटरिच में कर रही है कार्य
सिवान: समुदाय स्तर तक बेहतर व गुणवत्तापूर्ण मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना चुनौती से भरा है। चुनौती सिर्फ संसाधन की उपलब्धता तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों के क्षमतावर्धन पर भी निर्भर करता है। जिले के रधुनाथपुर स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत एएनएम कालिंदी कुमारी इन चुनौतियों को असान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। दरअसल यह सब केयर इंडिया के अमानत ज्योति कार्यक्रम के बदौलत हीं संभव हो पाया है। केयर इंडिया के द्वारा संचालित अमानत ज्योति कार्यक्रम के तहत कालिंदी कुमारी को प्रशिक्षित कर डीएमटी बनाया गया है। अब कालिंदी कुमारी स्वास्थ्य संस्थान के प्रसव कक्ष या आउटरिच में कार्यरत नर्सो की कार्य क्षमता को सुदृढ़ कर रही है। ताकि समुदाय को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराया जा सके।
अपने कर्तव्यों को बखूबी निभा रही है एएनएम कालिंदी
अमानत ज्योति कार्यक्रम के डीएमटी कालिंदी कुमारी आरोग्य दिवस पर कार्यरत एएनएम को प्रशिक्षित कर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृद्ध करने में अपने कर्तव्यों को बखूबी निभायी है। पहले आरोग्य दिवस पर कार्यरत एएनएम को ठीक से बीपी जांच, एएनएसी, एचआईवी जांच एवं हिमोग्लोबिन जांच करने में परेशानी होती थी, लेकिन जब कालिंदी कुमारी डीएमटी बनी और समय समय पर अन्य एएनएम को प्रशिक्षित किया तो उनके कार्यकुशलता में निखार आया है। अब आरोग्य दिवस पर कार्य करने वाली एएनएम भी गर्भवती महिलाओं का सभी जरूरी जांच आसानी से कर लेती है। इससे समुदाय को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराया जा रहा है। आरोग्य दिवस पर प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं के बेहतर क्रियान्वयन से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। गर्भावस्था से लेकर शिशु के दो वर्ष की आयु तक का समय महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान माता के बेहतर पोषण के साथ प्रसव पूर्व जाँच भी जरूरी होती है।
प्रसव कक्ष में भी हुआ गुणवत्तापूर्ण सुधार
एएनएम कालिंदी कुमारी दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है। कालिंदी कुमारी कहती हैं- वह आउटरिच की डीएमटी है। लेकिन प्रसव कक्ष में भी अपना योगदान देती है। यहां पर कार्यरत एएनएम और जीएनएम को भी अपने कार्य अनुभव से उनके कार्यक्षमता का विकास करती है। जिससे प्रसव कक्ष के गुणवत्ता में भी काफी सुधार आया है। पहले यहां पर पीपीएच प्रबंधन में काफी समस्या होती थी। लेकिन डीएमटी के आने के बाद उन्हने पीपीएच( प्रसव के बाद अत्याधिक रक्त स्त्राव) के प्रबंधन में भी आसानी हुई और रेफरल के मामलों में भी काफी कमी देखी गयी है। उन्होंने बताया इसका परिणाम है कि मातृ-शिशु मृत्यु दर में भी कमी आ रही है।
जिले की सबसे उत्कृष्ट एएनएम है कालिंदी
कालिंदी कुमारी अमानत ज्योति कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित जिलास्तर पर सबसे उत्कृष्ट श्रेणी में अपनी पहचान बनायी है। इस कार्यक्रम के तहत रैंकिंग में एएनएम कालिंदी को सबसे ज्यादा अंक दिया गया है। उनके कार्यकुशलता का हर कोई कायल है।