परवेज़ अख्तर/सीवान:- जिले के महाराजगंज प्रखंड के पटेढ़ा पंचायत के पटेढ़ी के रहने वाले थे सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा। वे तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन गांव में अस्पताल बनाने का उनका सपना 28 साल बाद भी अधूरा है। महापुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि पर उन्हें याद करना हम नहीं भूलते। उनके पदचिन्हों पर चलने व उनके सपनों को पूरा करने को ले भाषण देना हमारी परंपरा है। भले ही उन महापुरुषों का सपना पूरा हो या नहीं पर उनकी कीर्ति भी खंडहर में तब्दील हो रही है। हमारी इन्हीं कारगुजारियों के चलते महामाया बाबू का सपना आज भी अधूरा है। शिक्षा व स्वास्थ्य को ले महामाया बाबू ने अपने गांव व क्षेत्र के विकास के लिए सपना देखा था। उन्हीं सपनों को पूरा करने को लेकर उन्होंने गांव में अपनी भूमि पर स्कूल की स्थापना कराई। जहां आज पहली से लेकर इंटर तक की शिक्षा उपलब्ध है। ग्रामीणों के अनुसार हॉस्पीटल के लिए भी उन्होंने कुछ शर्तों के साथ जमीन दी। अस्सी के दशक में उस जमीन पर 18 बेड का अस्पताल बनना शुरू हुआ। इसी बीच महामाया बाबू का निधन हो गया। इसके बाद अस्पताल बनने का काम अधर में लटक गया, जो आज इतने दिन बाद भी नहीं बन पाया है। गांव में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा की बात करें तो एक टेटनस की सुई भी उपलब्ध नहीं है।
जीवनकाल में ही अस्पताल के लिए दी थी जमीन
पंचायत की आबादी करीब 18 हजार के आसपास है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधा नगण्य है। लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए या तो प्रखंड मुख्यालय या जिला मुख्यालय का रूख करना पड़ता है। मुखिया उमेश कुमार शाही, अधिवक्ता पीपी रंजन द्विवेदी, सोनल द्विवेदी, रामाशंकर शाही, प्रभु शाही, मनोज द्विवेदी, जगमोहन राम, मैनेजर ठाकुर, सुग्रीव यादव, करीमन बाबा, राजेन्द्र लाल, सतीश शाही, विद्या साह, विश्वनाथ राम ने बताया कि महामाया बाबू जुझारू नेता के रूप में जाने जाते थे। महामाया बाबू ने अपने जीवनकाल में अस्पताल के लिए जमीन दान दी थी। इसके बाद अस्पताल बनना शुरू हुआ। इसी बीच वे दुनिया से चले गए। फिर क्या अस्पताल का निर्माण सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया। अस्पताल बनने से पहले ही ध्वस्त हो गया। 28 साल पहले निर्माणधीन अस्पताल भवन पूरा होने की बात कौन कहे, अधूरा भवन भी अब खंडहर में तब्दील हो गया है।