पटना: राज्य के पूर्व मंत्री वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हिन्द केसरी यादव का शुक्रवार की सुबह निधन हो गया। गोशाला रोड स्थित एक निजी अस्पताल में हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। उन्होंने मीनापुर विधान सभा क्षेत्र का चार बार नेतृत्व किया। वे 1990 में पर्यटन मंत्री व 1997 में पंचायती राज व मत्स्य संसाधन मंत्री थे। उनके निधन पर सीएम नितीश कुमार ने परिजनों को फोन कर शोक जताया। राजकीय सम्मान के साथ गोबरसही में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बडे पुत्र लोकशक्ति ने मुखाग्नि दी।
वे पहली बार लोकदल से 1985, जनता दल से 1990, राजद से 1995 व 2000 में विधायक बने। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासन काल में वे दो बार मंत्री बने। 2009 में वे कांग्रेस के टिकट पर वैशाली से लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाये थे। पहली बार 1977 में मीनापुर से विधानसभा चुनाव लड़े थे। वे कुढ़नी व गायघाट से भी किस्मत अजमा चुके थे। वे मूल रूप से कुढ़नी प्रखंड के बरकुरबा के रहने वाले थे।
वे अपने पीछे तीन पुत्र समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए। सबसे बड़े पुत्र डॉ. लोक शक्ति चिकित्सक हैं। वहीं उनसे छोटे लोक क्रांति कांग्रेस में सक्रिय हैं। सबसे छोटे पुत्र लोक मौर्य व्यवसायी हैं। पुत्र लोक क्रांति ने बताया कि सुबह छह बजे उनका निधन हो गया। गुरुवार को बेचैनी होने पर उन्हें निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनका बीपी बढ़ा हुआ था। इलाज के दौरान देर शाम उनकी स्थिति सामान्य होने लगी थी। हार्ट अटैक से सुबह में उनकी मौत हो गई। शव को गोबरसही स्थित आवास पर रखा गया। सांसद अजय निषाद, विधायक विजेंद्र चौधरी, मो. इजराइल मंसूरी, पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा, डीएम प्रणव कुमार व एसएसपी जयंतकांत समेत कई नेताओें व अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
पदयात्रा के दौरान माफियाओं ने किया था हमला
बिहार में शराबबंदी की मांग को लेकर पूर्व मंत्री हिन्देकेसरी यादव ने 2012 में साहेबगंज से लेकर मुजफ्फरपुर शहर तक पदयात्रा की थी। इस दौरान क्लेक्ट्रेट परिसर में शराबबंदी की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान शराब माफियाओं ने पूर्व मंत्री व उनके समर्थकों पर हमला किया। उनपर लाठी व रोड़ से हमला कर जख्मी कर दिया गया। हमलावरों की गिरफ्तारी को लेकर कई दिनों तक आंदोलन चला। पुत्र लोक क्रांति ने बताया कि समाजिक बुराइयों के खिलाफ शुरू से वे आंदोलन करते रहे। जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे। बाढ़ व सुखाड़ के मुद्दे पर महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से दिल्ली तक पदयात्रा की। सामाजिक मुद्दों को लेकर वे कई बार पदयात्रा व सत्याग्रह किए थे।