✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया।पड़ेजी निवासी पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि हिंदू नववर्ष के पहले महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को लोक आस्था सूर्य उपासना का महापर्व छठ व्रत मनाया जाता है। छठ व्रत अत्यंत ही पवित्र त्योहार माना गया है, खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का व्रत है। वैदिक मान्यता है कि नहाय-खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। महापर्व में भगवान सूर्य देव की आराधना की जाती है। संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते समय अर्घ्य दिया जाता है और उसके अगले दिन उदयीमान सूर्य को सूर्योदय का अर्घ्य दिया जाता है।
शनिवार को अनुष्ठान के पहले दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के भात बना कर छठ व्रती प्रसाद ग्रहण कर नहाय-खाए से चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लिया। साथ ही संपूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखते हुए व्रत के लिए गेहूं और चावल को धोकर सुखाया। छठ पूजा में खरना के प्रसाद का विशेष महत्व माना गया है। खरना प्रसाद में छठ व्रती रविवार को आम के लकड़ी से मिट्टी के चूल्हे पर ईंख के कच्चे रस, गुड़, अरवा चावल का खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगा महा प्रसाद ग्रहण करेंगी। तथा घर परिवार के लोगों को तथा आगंतुकों को महाप्रसाद देंगी। सोमवार को व्रती महिलाएं अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगी। जबकि मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं उपवास तोड़कर पारण करेंगी।