- मजबूरन सबके चेहरे पर है खुशियां पर अंदर ही अंदर सभी लोग हैं मायूस
- मरने वाले मरते हैं लेकिन फना होते नहीं, वो हकीकत में कभी हमसे जुदा होते नहीं
✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
मरने वाले मरते हैं,लेकिन फना होते नहीं,वो हकीकत में कभी हमसे जुदा होते नहीं,बातिल से दबने वाले,ए कारवां नहीं हम,सौ बार कर चुका है,तू इम्तिहां हमारा,ए गुलिस्ताने उंदलुज वो दिन है याद तुझको,उतरा तेरे किनारा,जब कारवां हमारा,उतरा तेरे किनारा,जब कारवां हमारा।यह शायरी जो एक देश के बड़े शायर द्वारा अपनी कलम को उठाकर भले ही तारीख के पन्नों पर अंकित किया है।लेकिन आज सोमवार को आकर्षित रूप से सजी दिवंगत पूर्व सांसद का पैतृक गांव प्रतापपुर से लेकर सिवान तक पर सटीक बैठते जा रहा है।प्रतापपुर से लेकर सिवान तक पूर्व दिवंगत सांसद डॉ.मो.शहाबुद्दीन की बेटी हेरा शहाब के शादी के लिए सजी पंडाल को देख देख कर आज पूरा सिवान रो रहा है।
भले ही सबके चेहरे पर खुशियां झलक रही है,लेकिन शहाबुद्दीन की उपस्थिति न होने से उनके चाहने वाले अंदर ही अंदर दहाड़ रहे हैं। उनके चाहने वाले भले ही आयोजित शादी के जश्न में अपनी दिल की बिरदांत कहें तो किससे कहें।पूर्व दिवंगत सांसद डॉ.मो. शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर के प्रत्येक घरों में खुशी के साथ साथ अंदर ही अंदर वीरानी छाई हुई है।सजी पंडालों को देखकर उपस्थित लोग अपनी अपनी आंखों के आंसू को नहीं रोक पा रहे हैं,कोई सजी पंडाल के पीछे जाकर अपने आंसुओं को बहा रहा है तो कोई अपने घर के चहारदीवारी के अंदर जाकर अपने चहेते पूर्व दिवंगत सांसद को याद करके रो रहे है।
उनके कई चाहने वालों ने दूरभाष पर बताया कि हम लोगों को,क्या पता था कि हम लोगों के ” साहब ” हम लोगों को ठुकरा के जिंदगी के उस डाली पर ले जाकर खड़ा कर देंगे,जहां हम लोगों के रिमझिम आंखों के आंसू ही सूख जाएंगे।यहां बताते चलें कि पूर्व दिवंगत सांसद डॉ.मो.शहाबुद्दीन की बेटी हेरा शहाब की शादी मोतिहारी के रानिकोठी के राजघराना कहे जाने वाले मो. इफ्तेखार के बेटे मो.शादमान से होगी। साथ ही उनके बेटे ओसामा शहाब का रिसेप्शन यानी (वलीमा) भी आज के दिन ही मुकर्रर है।इसको लेकर कई दिनों से तैयारी जोर शोर से चल रही थी।