गुठनी के श्रीकरपुर चेक पोस्ट से लेकर मेनरोड टेकनिया तक सड़क हुई जर्जर
छोटे वाहन से लेकर बड़े वाहन हो रहे है हादसों के शिकार
परवेज़ अख्तर/सीवान:- जिले के गुठनी के श्रीकरपुर पुलिस चेक पोस्ट से लेकर मेन रोड मैरवा तक परामजानकी मार्ग नाम से विख्यात मुख्य सड़क इन दिनों गड्ढे में तब्दील हो गई है। पिछले पाँच वर्षों के अन्दर इस रोड की दो बार मरम्मती का कार्य हो चुका है लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।ये रोड इस समय ईतनी जर्जर हो गई है कि कब कौन किस जगह सड़क के बीचों-बीच इस गढ़े का शिकार हो जायेगा यह किसी को नही पता। और कई जगहों पर तो सड़क के बीचों-बीच बने इस खतरनाक गड्ढों से बड़े हादसे होते होते बाल बाल बच जाते हैं।पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट के नियमानुसार निर्माण काल से लेकर आगामी पाँच वर्षों तक उस रोड की मरम्मती और देख रेख की पूरी जिम्मेदारी संबंधित संवेदक की होती है। जो नियमानुसार हुवा भी है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इतनी अल्पावधि ये रोड जीर्ण शीर्ण हुवा हीं क्यों? जाहिर सी बात है इसका एक मात्र कारण घटिया निर्माण कार्य हीं हो सकता है।श्रीकरपुर पुलिस चेक पोस्ट से लेकर मेन रोड मैरवा की तरफ जाने वाली इस मुख्य सड़क तेनुआ चौराहें पर विनायक होण्डा एजेंसी के पास, बालाजी पेट्रौल पम्प के सामने और गोहरुआ चट्टी के पास ये होल कभी भी किसी यात्री के मौत का कारण बन सकते हैं। इन गड्ढों के चलते कई बार खतरनाक हादसे हो भीं चुकें हैं। रात में चलने वाले अनजान यात्री अक्सर इन हादसों के शिकार हो जाया करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि रोड के किनारे घास का संरक्षण और पर्याप्त मिट्टी भराई की कमी तथा विभाग की लापरवाही के कारण बरसात में मिट्टी की अनवरत कटान के चलते ये होल बन जाया करते है। जिसकी सम्वन्धित संवेदक द्वारा अबिलम्ब भराई का कार्य कराया जाना चाहिए। स्थानीय ग्रामीण जनार्दन ओझा, रिंकू पटेल, अंगद पटेल, जय प्रकाश शर्मा सामाजिक कार्यकर्ता राघव सिंह, रणजीत कुशवाहा, नीतीश कुशवाहा, पंकज तिवारी, सुनील ठाकुर, अवधेश चौधरी, गोपाल जी अकेला, निर्भय शुक्ला सहित दर्जनों लोगों का आरोप है कि आखिरकार इस जर्जर सड़क की मरम्मती या नए तरीके से निर्माण कराने के लिए कौन जिम्मेदार है? जो आय दिन यात्रियो द्वारा लगातार हादसों के शिकार होने के बाद भीं स्थानीय प्रशासन द्वारा चंद मुवायजे देकर खाना पूर्ति करने के बाद अपने कर्तव्यों की इति श्री समझ ली जाती है। लेकेन हादसों को टालने के लिए स्थायी निदान के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। अब इस सड़क पर चलने वाले यात्रियों के परिजन घर वापस लौटने तक सशंकित रहते है की कौन जाने कब कोई बुरी खबर आ जाय। सड़क की दुर्दशा को देखते हुये आम जनों में हमेशा डर से भय ब्याप्त है।