गंडक की कोप से अनाज से लेकर शादी की तस्वीर तक बचाने की तदबीर में जुटे ग्रामीण

0

पटना: सदर प्रखंड की जागिरी टोला पंचायत। चारों ओर दूर-दूर तक फैली अथाह जलराशि। काले बादल से ढंके आसमान के क्षितिज को छूती हुई। रविवार सुबह से ही पानी का प्रवाह लगातार तेज हो रहा है। गंडक की धारा उत्तर की ओर से चल रही हवा के साथ ऐसे दौड़ रही है ,मानो सब कुछ निगल जाना चाह रही हो। घर से लेकर खेत व खलिहान सब जलप्लावित हो चुके हैं। पानी में बहती रस्सी,पशु चारे की बोरी व जलावन की लकड़ी हालात को बयां कर रही है।

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

फिर भी गांव के सात सौ परिवार अपने घरों में ही रहकर बाढ़ से बचने व बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। कोई चौकी पर चौकी रख कर दुबका हुआ है तो कोई छत व फूस की छपरी पर बैठ कर आफत खत्म होने का इंतजार कर रहा है। महिलाएं अनाज,कपड़े से लेकर शादी की तस्वीर तक बचाने की तदबीर में जुटी हैं। गोधन यादव की शादी पिछले ही महीने हुई है। मधु देवी बाढ़ के विकराल रूप को देख सहमी है। वार्ड सदस्य रामनरेश कहते हैं भारी विपदा है साब! ऊपर से भादो की बारिश व नीचे कहीं घुटने तो कहीं छाती भर पानी। गांव वाले जाएं तो कहां जाएं।

जागिरी टोला पंचायत के पांच वार्ड बाढ़ से जलमग्न हो चुके हैं। एक हजार घरों में पानी घुस चुका है। पंचायत की मुखिया सोनी देवी बताती हैं कि अब तक दो-ढाई सौ परिवार ही घर से बाहर निकल पाए हैं। राम नरेश साह की झोपड़ी में सुबह से दोपहर तक एक हाथ पानी बढ़ चुका है। बताने लगे-पुराना बांस- बल्ली है। हवा से डोल रहा है। पता नहीं कब यह झोपड़ी भी गिर जाएगी। ग्रामीण बताते हैं कि प्लास्टिक को छोड़ कर प्रशासन की ओर से कुछ नहीं मिला है। वार्ड में एक ही नाव रहने से भी परेशान हो रही है.

भुंजा,सत्तू व चूड़ा बना सहारा

badh ka pani

जागिरी टोला के अधिकतर घरों में न पिछली रात को न आज दोपहर को ही खाना बन सका। राजेन्द्र यादव ने बताया कि जान बचाना मुश्किल है तो खाना कौन बनाए। कहीं खाना बनाने की जगह नहीं है। विलास राम कहने लगे कि भुंजा,सत्तू व चूड़ा से किसी तरह भूख मिटा रहे हैं। जब स्थिति सामान्य होगी तब चूल्हा चलेगा।

कुत्ते-बिल्ली भी सुरक्षित स्थान तलाश रहे

badh se ast vayast

जागीरी टोला की तरह हीरा पाकड़ गांव में सैलाब का डरावना मंजर है। आदमी तो आदमी कुत्ते बिल्ली भी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान तलाशते दिखे। मानो बाढ़ की आफत ने इंसान व जानवर का फर्क भी मिटा दिया है। राम सुरेश झोपड़ी में घुसे पानी में खाट पर बैठे थे। जब कहीं सूखी धरती नहीं दिखी तो कुत्ते भी आकर साथ बैठ गए। कहने लगे यह भी जीव है तो यह आफत में कहां जाएगा।