गोपालगंज: सूबे के नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार के गठन में जिले को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला। मंत्रिमंडल में जिले का प्रतिनिधित्व नहीं होने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। वैसे सुबह से ही सरकार के गठन को लेकर पूरे जिले में चर्चा का बाजार गर्म रहा। जिले की छह विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में चार सीटों पर एनडीए का कब्जा हुआ। जिले की चार सीटों में से दो सीटों पर भाजपा तथा दो सीटों पर जदयू ने कब्जा जमाया। सारण प्रमंडल में जिले में एनडीए को अधिक सीटें मिलने को लेकर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में जिले को प्रतिनिधित्व मिलने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन शाम साढ़े चार बजे जब शपथ ग्रहण का आयोजन हुआ तो जिले को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म रहा।
वैसे जिले को सूबे की सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने का यह पहला मामला नहीं है। 2015 में हुए विस चुनाव में महागठबंधन को जिले में छह में से चार सीटें मिली थी। लेकिन तब भी जिले को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला। वर्ष 2018 में मंत्रिमंडल विस्तार के समय हथुआ से विधायक रहे रामसेवक सिंह को सूबे में मंत्री बनाया गया। इसी प्रकार वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जिले की सभी छह सीटों पर एनडीए का कब्जा हुआ था। तब भी जिले को पहले मंत्रिमंडल गठन में प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। वैसे लगातार चौथी पर भाजपा के टिकट पर गोपालगंज से निर्वाचित हुए सुभाष सिंह के अलावा बरौली से निर्वाचित घोषित किए गए पूर्व मंत्री रामप्रवेश राय में से किसी एक व्यक्ति को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था।