- प्रखंड स्तरीय शिविर से वंचित दिव्यांगों को मिल रहा फिर से मौका
- शिविर के माध्यम से अधिक से अधिक दिव्यांगों को लाभ पहुंचाने की है योजना
- क्यूआर कोड के माध्यम से दिव्यांगों की होगी पहचान
गोपालगंज: दिव्यांगों को खुशहाल और सुखद जीवन जीने के लिए सरकार ने इनलोगों को यूनिक डिस एबिलिटी आईडी यानि यूडीआईडी नंबर प्रदान करने की योजना बनाई है। इस आधार पर दिव्यांगों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर डाटाबेस बनेगा। कार्ड प्राप्त करनेवाले दिव्यांगों को देशभर में कहीं भी अब अपना प्रमाणपत्र ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। स्मार्ट कार्ड के डाटाबेस के माध्यम से उन्हें बिना दिव्यांगता प्रमाण पत्र के पूरे देश में योजनाओं से लाभांवित किया जा सकेगा। इसके लिए सरकारी स्तर पर कार्रवाई प्रारंभ हो गयी है। इसको लेकर रविवार को सदर अस्पताल में विशेष शिविर का आयोजन किया जायेगा। इस शिविर में ऐसे दिव्यांगों का आवेदन लिया जायेगा, जो किसी कारण प्रखंड स्तरीय शिविर में अपना आवेदन नहीं करा सके है। इसको लेकर वरीय उपसमाहर्ता सह प्रभारी सहायक निदेशक, जिला दिव्यांग सशक्तिरण कोषांग पिंकी कुमारी ने पत्र लिखकर निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में ऑफलाइन दिव्यांगता प्रमाण को ऑनलाइन दो दिवसीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है। फिर ऐसा देखने में आया है कुछ दिव्यांग इससे वंचित रह गये हैं । ऐसे दिव्यांगों के लिए 21 फरवरी को सदर अस्पताल में विशेष शिविर का आयोजन किया जायेगा।
क्यूआर कोड के माध्यम से दिव्यांगों की होगी पहचान
दिव्यांगजनों को दिए जानेवाले इस बहुदेश्यीय स्मार्ट कार्ड में एक क्यूआर कोड होगा। इसके लिए दिव्यांग कल्याण विभाग में एक साफ्टवेयर सिस्टम लगा रहेगा। कार्ड की इंट्री होते ही आसानी से दिव्यांग की पहचान की जा सकेगी। इस कार्ड के जरिए संबंधित व्यक्ति के शारीरिक और वित्तीय प्रगति की भी ट्रैकिंग की जा सकेगी। राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कहीं भी अपनी दिव्यांगता प्रमाण पत्र साथ ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ये कागजात हैं जरूरी
सभी पुराने आवेदकों को आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, दिव्यांगता प्रमाण-पत्र, फोटो एक प्रति एवं अपना मोबाइल शिविर में लाना आवश्यक है| नये आवेदकों के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, चार प्रति फोटो एवं अपना मोबाइल लेकर आना जरूरी है।
एक अप्रैल से लागू होगा नियम
1 अप्रैल के बाद यदि कोई दिव्यांगजन अपना प्रमाण पत्र बनाएंगे तो उन्हें ऑनलाइन प्रमाण पत्र दिया जाएगा| जिसको लेकर एक यूडीआई जेनरेट होगा| जिसमें संबंधित व्यक्ति की पूरी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी। इससे किसी भी दिव्यांग व्यक्ति के प्रमाण पत्र के जलने या चोरी होने या खोने का डरनहीं रहेगा।