परवेज अख्तर/सिवान: गुठनी मानव जीवन का सर्वोतम, सर्वश्रेष्ठ और एकमात्र उद्देश्य है ईश्वर का भजन करना। बिना भजन किए ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती । यह बातें प्रखंड के करदासपुर में चल रहे रुद्र महायज्ञ के चौथा दिन मंगलवार को प्रवचन के दौरान संत प्रेम दास त्यागी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि मानव का जन्म मिलना बड़े ही सौभाग्य का विषय है, क्योंकि संसार के आवागमन के चक्कर में सृष्टि के साथ ही हमारा और आपका हजारों – लाखों पता नहीं कितने जन्म हुए होंगे। किस-किस योनियों में किन-किन यातनाओं से गुजरना पड़ा होगा, इसकी कल्पना करना असंभव है, लेकिन जब जन्म-जन्मांतर, कल्प-कलापांतर और लोक-लोकांतर के पुण्य से प्रभु हरि विशेष कृपा करके मानव का शरीर प्रदान करते हैं। ऐसा गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि परमात्मा कृपा करके मनुष्य का जन्म देते हैं।
जिन परमात्मा ने सुंदर-सुकांत शरीर दिया, इतने सुंदर-सुंदर हाथ, मुंह, पैर इत्यादि दिए, इसके बाद भी यदि उस परमात्मा को हम याद नहीं करते हैं तो इससे दुर्भाग्य इस संसार में कौन सा जीव होगा। जब भी मौका मिले या मौका निकलकर उस परमात्मा को धन्यवाद अवश्य देना चाहिए क्योंकि संसार में ऐसे भी बहुत लोग हैं जिनके शरीर में सभी अंग पूर्ण नहीं हैं। जब मनुष्य का जन्म पाकर भी उस परमात्मा का भजन नहीं बनता तो समझो कि यह दुर्भाग्य है, लेकिन जब इस जीवन में भजन करने का आदत लग जाए, संतों, गुरुओं की कृपा हो जाए तो वह जीव धन्य धन्य हो जाता है। इसलिए सभी मनुष्यों को ईश्वर का भजन अवश्य करनी चहिए। इस मौके पर अनूप पांडेय, प्रमोद द्विवेदी, पंडित राजेंद्र तिवारी, दिनेश पांडेय, यजमान बांका यादव समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।