- बलुआ, ग्यासपुर, तिरबलुआ, खड़ौली, पाण्डेयपार, मैरिटार, डुमरहर के समीप तेजी से कटाव शुरू है
- बाढ़ के बाद हुए कटाव से खेती योग्य जमीन नदी में समाई
- बाढ़ विभाग ने अभीतक नहीं किया कोई निरीक्षण, नाराजगी
परवेज अख्तर/सिवान: जिले के गुठनी प्रखंड में सरयू नदी में आई दोबारा बाढ़ से निचले इलाके में पानी घुस गया था। वहीं धान की फसल, सब्जी की फसल व मौसमी फसल को भी काफी नुकसान हुआ था। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के बाद हो रहे कटाव से भी खेती योग्य 10 बीघा से अधिक जमीन नदी में समा गई है। उनका कहना था कि बाढ़ के बाद नदी में तेजी से कटाव हो रहा है। बावजूद बाढ़ विभाग व स्थानीय प्रशासन इसको देखते हुए भी मूकदर्शक बना हुआ है। अभी तक किसी भी तरह का बचाव व निरीक्षण का कार्य नहीं किया गया है। ग्रामीणों का आरोप था कि बाढ़ के बाद अधिकारी नदी में हो रहे तेजी से कटाव का निरीक्षण करने तक नहीं आए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सरयू नदी व बूढ़ी गंडक नदी का कटाव बलुआ, ग्यासपुर, तिरबलुआ, खड़ौली, पाण्डेयपार, मैरिटार, डुमरहर के समीप तेजी से हो रहा है। जबकि ग्रामीणों ने बाढ़ विभाग, बीडीओ, सीओ, सीआई से कई बार शिकायत की है। लेकिन इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मौके पर ध्रुपदेव राजभर, सुभाष राजभर, नीतीश राजभर, रामनक्षत्र राजभर, दीनानाथ राजभर, गुड्डू राजभर, बिरजा गोंड, हरिकिशुन राजभर, हरिशंकर राजभर, उमा राजभर, सीताराम राजभर, रघुवीर राजभर, बलिराम राजभर, मुन्ना राजभर, जवाहर राजभर, सुरेंद्र राजभर, फुलेना राजभर, ललन राजभर, प्रवेश राजभर, अलोप राजभर, जगीलाल राजभर, अमरजीत राजभर, प्रमहंस राजभर थे।
सरयू नदी पर बांध बना रोका जा सकता है नुकसान
सरयू नदी में हर साल आने वाले बाढ़ से होने वाले नुकसान से परेशान ग्रामीणों ने नदी के सटे बांध बनाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल हम लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। अगर सरकार सरयू नदी पर बांध बनाये तो इससे करीब एक दर्जन से अधिक गांव को सीधा फायदा होगा। बाढ़ विभाग के वरीय अधिकारियों के समक्ष लोगों ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए बताया कि जुलाई से लेकर अक्टूबर महीने तक नदी में पानी बढ़ता व घटता रहता है। जिससे हम लोगों को खेती व मछली पालन करने में काफी नुकसान होता है। लोगों ने बाढ़ विभाग की टीम को बताया कि योगियाडीह से लेकर खड़ौली तक लगभग तीन किलोमीटर बांध बनाया जाय तो इससे गुठनी, गोहरुआ, श्रीकरपुर, योगियाडीह, तिरबलुआ, बलुआ, ग्यासपुर, खड़ौली, पाण्डेयपार सहित कई अन्य गांव बाढ़ से तबाह नहीं होंगे।
क्या कहते हैं एक्जीक्यूटिव इंजीनियर
बाढ़ विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर हरेकृष्ण प्रसाद का कहना है कि सरकार को प्रपोजल भेजना विभाग का काम है। यहां के लैंड इंस्पेक्शन के बाद रिपोर्ट भेज दी गयी है।