परवेज अख्तर/सिवान: अल्लाह की इबादत है रमजान का हर एक रोजा। रोजेदार रमजान के दौरान हर नियम-कायदा को पालन करते हुए अल्लाह की इबादत करते हैं। रोजेदार को कुरान की तिलावत, तरावीह की नमाज, पांचों वक्त की नमाज के साथ-साथ जकात बहुत जरूरी होता है। हसनपुरा खानकाहे हैदरिया के पेश इमाम मौलाना मुमताज हैदरी का कहना है कि रोजा अल्लाह की इबादत का एक तरीका है। ऐसा रोजा ही अल्लाह की नजर में अहमियत रखता है। इस माह में गरीबों के हक में भी दान किया जाता है जिसे जकात बोलते हैं।
बताते हैं कि रमजान के महीने में जकात भी निकाली जाती है। अपनी जरूरतों पर खर्च करने के बाद जो जमा होता है, उसका 40 प्रतिशत जकात के रूप में निकाला जाता है जिन पर जकात है, वे ईद के दिन नमाज से पहले सदकातुल फितर निकालते हैं और अपने व अपने बच्चों की तरफ से गरीबों को दान करते हैं। रमजान का महीना कमजोर, दिव्यांग, बेसहारा व गरीबों की मदद करने के साथ सभी की मदद करने का संदेश देता है।