परवेज अख्तर/सिवान: जिले के हसनपुरा प्रखंड के महुअल महाल में चल रहे सात दिवसीय भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन सोमवार की शाम प्रवचन करते हुए वृंदावन से पधारे प्रमोद कृष्ण दास महाराज ने कहा कि भागवत भाव का विषय है, ज्ञान का नहीं, क्योंकि भगवान को ज्ञान से ज्यादा भाव प्रिय होता है। भगवान ज्ञानियों को अपनी आत्मा मानते हैं किंतु भक्तों को आज भगवान अपना भगवान मानते हैं, इसीलिए भगवान कृष्ण विदुर के घर जाते समय कहते हैं कि विदुर के घर खड़ाऊं पहन कर नहीं जाऊंगा, क्योंकि मेरे लिए भक्तों का घर मंदिर के समान है और मंदिर में कभी चप्पलें पहनकर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में तीन ऋण जन्म से ही लग जाते हैं।
देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण। देव ऋण हमें प्रकृति, हवा, जल, पृथ्वी जीवन आदि के लिए मिलता है। इससे मुक्ति पाने के लिए दान और दान जन सेवा करनी चाहिए। ऋषि ऋण ग्रंथों के नाम पढ़ने के कारण लगता है,इसलिए हमें ग्रंथ अवश्य पढ़ने चाहिए। पितृ ऋण माता-पिता की सेवा और संतान प्राप्ति से समाप्त होता है। महाराज ने बताया कि इस कलयुग में माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। अगर हम अपने माता- पिता की सेवा ना करें तो हमारे द्वारा किए जाने वाले हर कार्य हर पुण्य निष्प्रभाव हो जाता है, इसलिए माता-पिता की सेवा तो भगवान की सेवा से भी पहले करनी चाहिए। इस मौके पर काफी श्रद्धालु उपस्थित थे।