परवेज अख्तर/सिवान: मुस्लिमों का पवित्र शब-ए-बरात का आज यानी शुक्रवार की रात को मनाया जाएगा। पर्व को लेकर घरों, मस्जिदों व कब्रिस्तानों की साफ-सफाई के साथ सजावट में सभी लोग जुट गए हैं। शब-ए-बरात दो साल के बाद काफी धूमधाम से मनाई जा रही। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से दो साल से लोग नहीं मना रहे थे। मजहबे इस्लाम में साल का हर महीना अपने खुशुसियत के लिहाज से एक खास मकाम रखता है। इस शअबान महीने की पन्द्रहवीं तारीख की रात बेहद अहम मानी गयी है।
जिसे शब-ए-बरात कहा गया है। शब का मतलब रात और बरात मतलब जागना है। इस रात को अल्लाह की रहमतें बंटती है। रात भर जाग इबादत करने वाले बंदे के नामे अमाल में अल्लाह के जानीब से बहुत बड़ी नेकियां लिखी जाती। इस रात मुसलमान अपने घरों व मस्जिदों में अल्लाह की इबादत कर अपनी मगफीरत के लिए दुआएं मांगते है। इस दौरान लोग कब्रिस्तान जाकर अपने पूर्वजों के कब्र पर उनके मगफीरत के लिए फातिहा पढ़कर उनके बख्शीश के लिए दुआ करते हैं। पूर्वजों के नाम से गरीब, यतीम व बेसहारा लोगों में खैरात तकसीम करते हैं।