पटना: बिहार में अफसरशाही का आरोप झेल रही नीतीश सरकार को एक बार फिर से फजीहत से बचने के लिए डैमेज कंट्रोल का प्रयास करना पड़ा है। खबर बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ दुर्व्यवहार और उससे जुड़े विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को लेकर विधानसभा में आज विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर सुनवाई होनी थी।
स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ लखीसराय के डीएसपी समेत दो थानेदारों ने जिस तरह दुर्व्यवहार किया उसको लेकर बीजेपी विधायक संजय सरावगी और ललन कुमार की तरफ से विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया गया था और आज 3:00 बजे का वक्त सुनवाई के लिए तय हुआ था लेकिन यह सुनवाई टल गई।
इस मामले में सुनवाई के लिए राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी एसके सिंघल को बुलाया गया था लेकिन सुनवाई टलने के कारण ये दोनों भी विधानसभा नहीं पहुंचे। विधानसभा के अधिकारिक सूत्रों की माने तो आज मुख्यमंत्री का जनता दरबार कार्यक्रम और शाम के वक्त राज्य कैबिनेट की बैठक होने के कारण अधिकारियों की व्यस्तता है और इसी वजह से बैठक को टाला गया है हालांकि इस मामले में आगे सुनवाई होगी।
उधर सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि स्पीकर विजय कुमार सिन्हा जिस तरह अफसरशाही को लेकर नाराज हैं उन्होंने मीडिया के जरिए जो बातें रखी हैं और अब विधानसभा में जिस तरह विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया गया है। उसे देखते हुए कहीं ना कहीं सरकार के स्तर पर डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हो गई है। सियासी जानकार मानते हैं कि बीजेपी के जरिए विजय कुमार सिन्हा की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है संभवत जेडीयू के नेताओं को इसके लिए वक्त चाहिए और आज अधिकारियों की व्यस्तता के कारण उन्हें इसके लिए समय भी मिल गया है।