- परिवार को दें खुशहाली की सौगात, अनचाहे गर्भ को कहें बाय
- परिवार नियोजन पर चर्चा ख़ुशहाल परिवार की निशानी
- दो बच्चों में अंतराल से माँ और बच्चा रहेंगे स्वस्थ
छपरा: जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिले पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया गया है। जिसके तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। योग्य दंपत्ति को यह जानकारी दी जा रही है कि पहला बच्चा 20 की उम्र के बाद एवं दो बच्चों में 3 साल का अंतराल जरुरी हैI इससे बच्चा और महिला खुद भी स्वस्थ रहेंगीI कुछ ऐसी ही बातें महिलाओं के पतियों को समझाने की जरूरत हैI परिवार नियोजन सिर्फ़ जनसंख्या स्थिरीकरण की बात नहीं हैI यह एक स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार निर्मित करने की पहल भी हैI एक ऐसा परिवार जो आर्थिक रूप से सक्षम एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ हो, इसके लिए पहला बच्चा 20 की उम्र के बाद एवं दो बच्चों में कम से कम 3 साल का अंतराल जरुरी हैI ऐसे में वे अपने परिवार को स्वस्थ एवं खुशहाल रखने में मदद कर सकते हैंI
परिवार नियोजन पर चर्चा करने से बदलेगी तस्वीर
जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि हरेक व्यक्ति अपने परिवार की खुशहाली चाहता है। इसके लिए तो कुछ लोगों को अपने घर से दूर भी जाना पड़ता हैI परिवार के लिए जरुरी संसाधन जुटाने के लिए उन्हें अपने परिवार, पत्नी एवं बच्चों से दूर जाना पड़ता हैI लेकिन इस भाग-दौड़ में वे कुछ बुनियादी बातों पर चर्चा करना भूल जाते हैंI परिवार नियोजन उन्हीं बुनियादी बातों की कड़ी में शामिल हैI परिवार नियोजन सिर्फ साधनों के इस्तेमाल की बात नहीं है, बल्कि परिवार के सम्पूर्ण खुशहाली का संकेत भी हैI दम्पतियों के बीच परिवार नियोजन पर चर्चा से ही परिवार नियोजन के असली उद्देश्य को उजागर किया जा सकता है
समझें परिवार नियोजन की जरूरत
सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम परिवार कल्याण की बात को उजागर करता है। जिसमें माँ एवं बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्रदान कराना मुख्य रूप से शामिल हैI बच्चे के जन्म के बाद बच्चे की बेहतर परवरिश होनी भी जरुरी है। इसके लिए दो बच्चों में 3 साल का अंतराल जरुरी हो जाता हैI महिलाओं का शरीर 20 साल के पहले बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार नहीं हो पाता है। यदि 20 साल के पहले कोई महिला माँ बनती है तब माँ के साथ उनके बच्चे का स्वास्थ्य भी असुरक्षित हो जाता है। बाद में यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के कारणों में शामिल हो जाता हैI
छोटा परिवार, सुखी परिवार
छपरा शहर के दहियावां मुहल्ले के रहने वाली प्रियंका देवी का कहना है कि “आज दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ती जा ररी है। बच्चों का पालन-पोषण, अच्छी शिक्षा, ये सब बहुत जरूरी है। ऐसे में आज के जमाने में दो बच्चे ही काफी है। ताकि उनको अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य मुहैया करायी जा सके। मुझे एक बेटी व एक बेटा है। मेरा पूरा परिवार सुखी है। छोटा परिवार सुखी परिवार है।”
बेटा हो या बेटी, बच्चे दो ही अच्छे
रिविलगंज के रहने वाली स्वाती देवी (काल्पनिक नाम) का कहना है कि “बेटा हो बेटी हो, बच्चे दो ही अच्छे है। ज्यादा बच्चा हो तो परिवार को चलाना मुश्किल हो जाता है। आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है। बच्चे या माँ अस्वस्थ्य होंगे तो इलाज पर भी खर्च बढेगा। इससे परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता हैI इस लिए सरकार के नियमों का पालन करते हुए दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन के साधनो अपना लेना चाहिए। मैने भी अपनाया है।”
दो बच्चों में 3 साल के अंतराल के लाभ
- महिला अपने पहले बच्चे की देखभाल अच्छे से कर पाएगी I
- दोनों बच्चे को पूरा दूध पिलाने का समय मिलेगा I
- माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे I
- परिवार पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ेगा I
लगातार बच्चे होने से महिला और बच्चे के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव
- महिला अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाएगी I
- बच्चों के उचित देखभाल नहीं होने पर उनके कुपोषित अथवा बार-बार ग्रस्त होने की संभावना रहती हैI
- बच्चे या माँ अस्वस्थ्य होंगे तो इलाज पर खर्च बढेगा। इससे परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है I